मानसून भारत की अर्थव्यवस्था और बेहतर जीवन के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मौसम विभाग द्वारा किये जाने वाले मानसून पूर्वानुमान के संबंध में महत्त्वपूर्ण पहलुओं की चर्चा करें।
13 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर की रूपरेखा :
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भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी लगभग 48.9% जनसंख्या कृषि पर अपने रोज़गार व आजीविका के लिये निर्भर है। यह क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 17.4% का योगदान देता है। वहीं भारत का 40% कृषिक्षेत्र सिंचाई के लिये मानसून पर निर्भर है। इनके अलावा कुछ अन्य निम्नलिखित कारण हैं जो मानसून को भारत की अर्थव्यवस्था और इसके बेहतर जीवन के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण बनाते हैं।
कृषि पर प्रभावः अच्छा मानसून कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी कर कृषक की आय को बढ़ाता है जिससे ग्रामीण खपत में बढ़ोत्तरी होती है, वहीं दूसरी तरफ कमज़ोर मानसून से कृषि उत्पादकता में कमी के कारण किसान गरीबी व ऋण के दुष्चक्र में फँस जाता है जिसकी परिणति किसानों की आत्महत्या के रूप में सामने आती है। इसके अलावा उनके बच्चों का बाल मज़दूरी में जाने का खतरा बढ़ जाता है।
विदेशी मुद्रा पर प्रभावः अच्छे मानसून से कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ता है जिससे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। जिसका उपयोग कल्याणकारी कार्यों में किया जा सकता है, वहीं कमज़ोर मानसून के कारण कृषि उत्पादों के आयात से चालू खाता घाटे व फिस्कल खाता घाटे (fiscal account deficit) में बढ़ोत्तरी होने से अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ता है।
उद्योग-धंधों पर प्रभावः अच्छे मानसून से कृषकों आय बढ़ने के कारण उनके खरीदने की क्षमता (purchasing power) में बढ़ोत्तरी होती है जिसके कारण मांग में वृद्धि से उद्योग-धंधे व रोज़गार के अवसर बढ़ते हैं, वहीं कमज़ोर मानसून बेरोज़गारी में बढ़ोत्तरी करता है।
मौद्रिक नीति पर प्रभावः अच्छा मानसून खाद्यान्न की उपलब्धता की वजह से महँगाई को बढ़ने नहीं देता जिससे रिज़र्व बैंक रेपो रेट में कमी कर अर्थव्यवस्था के विकास में अपनी भूमिका निभाता है।
पानी की उपलब्धताः अच्छे मानसून से नहरों, तालाबों, नदियों, झीलों को पानी उपलब्ध होने से इसकी सप्लाई में वृद्धि होती है जो उद्योगों व कृषि सेक्टर को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।
इस तरह मानसून की उपलब्धता लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। यही कारण है कि भारतीय कृषि को "मानसून का जुआ" भी कहा गया है।
इस संदर्भ में मौसम विभाग के पूर्वानुमान के आँकड़े भी महत्त्वपूर्ण हैं। इससे-
भारतीय अर्थव्यवस्था का मानसून आधारित होने के कारण मानसून पूर्वानुमान एक महत्त्वपूर्ण एवं संवेदनशील विषय है। अतः मौसम की सटीक भविष्यवाणी की महत्ता बढ़ जाती है। वस्तुतः भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अवस्थित होने के कारण मौसम की भविष्यवाणी करना जटिल है व साथ ही यहाँ की गतिशील प्रकृति के कारण एक चुनौती है, विशेष रूप से जब 10 में से 4 मानसूनों को असामान्य (abnormal) में वर्गीकृत किया गया हो।
इसके बावजूद मौसम विभाग द्वारा 2015, 2016 व 2017 में मानसून का सटीक पूर्वानुमान लगाना मौसम वैज्ञानिकों व पूर्वानुमान की विधियों दोनों की सफलता को उजागर करता है। मौसम पूर्वानुमान के लिये वैज्ञानिकों द्वारा ओशियन सैट-2, मेघा-ट्रॉपिक्स व इनसेट सैटेलाइट की मदद ली जा रही है। इसके अलावा, इसरो द्वारा डिज़ाइन स्वचालित मौसम स्टेशन (automatic weather station), एग्रोमैट, टावर व डॉपलर मौसम रडार भी मदद कर रहे हैं। अन्य प्रयासों में मौसम विभाग द्वारा भूमि उपयोग में परिवर्तन की निगरानी, बंगाल की खाड़ी में पानी के नीचे रोबोट भेजना (पानी की लवणता व ताप जानने के लिये) आदि शामिल हैं।
अतः मानसून पूर्वानुमान के महत्त्व को देखते हुए भारत सरकार ने बेहतर तकनीक पाने के लिये विश्व के अन्य देशों के साथ समझौते किये हैं। साथ ही 60 million $ के एक नए सुपर कम्पयूटर पर खर्च कर रही है ताकि मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सके।