क्या ऐसा कहा जा सकता है कि भारत में दलहन के उत्पादन की निम्नतर स्थिति इसकी प्रतिकूल भौतिक दशा का परिणाम है? दलहन उत्पादन की दशाओं एवं क्षेत्रों को बताते हुए इसकी चुनौतियों पर प्रकाश डालें।
16 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर की रूपरेखा :
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दलहन भोजन का महत्त्वपूर्ण भाग होते हैं। ये न केवल खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करवाते हैं, बल्कि मानव पोषण और मृदा स्वास्थ्य की भी अभिवृद्धि करती हैं। भारत विश्व में दलहनों का सबसे बड़ा उत्पादक (25% वैश्विक उत्पाद) उपभोक्ता (27% वैश्विक उपभोग) और आयातक (19%) है। भारत में कुल कृषि उत्पादन क्षेत्र के 20% भाग पर तथा कुल उत्पादन में 7-10% भागीदारी दलहनों की है।
दलहन वस्तुतः उष्ण जलवायु की फसल है। ये सामान्यतः सभी प्रकार की मृदाओं में उपजाई जा सकती है। यद्यपि दलहनें रबी और खरीफ दोनों ऋतुओं में उत्पादित की जाती हैं, तथापि रबी का उत्पादन 60% है। 1950-51 से 2012-13 की अवधि में दलहन उत्पादन क्षेत्र 38 मिलियन हैक्टेयर से बढ़कर 59 मिलियन हैक्टेयर हो गया, साथ ही कुल उत्पादन 9 मिलियन टन से बढ़कर 19 मिलियन टन हो गया।
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक देश में शीर्ष दलहन उत्पादक राज्य हैं। भौतिक दशाओं में भिन्नता होते हुए भी संपूर्ण भारत में दलहनें बोई जाती हैं। मोठ और चना शुष्कता सह फसलें होने के कारण पश्चिमी राजस्थान में खरीफ की ऋतु में बोई जाती हैं। अरहर, उड़द, लोबिया संपूर्ण भारत में खरीफ की ऋतु में बोई जाती है। मसूर और मटर रबी की फसलें हैं, जो मुख्यतः कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बोई जाती हैं।
भारत में दलहन उत्पादन के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियों को समझा जा सकता हैः
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि यद्यपि स्वतंत्रता के पश्चात् दलहनों का उत्पादन बढ़ा है, तथापि हरित क्रांति और MSP के सीमित लाभों के कारण दलहन की निम्न उत्पादकता चिंता का विषय है। इस दिशा में सरकार द्वारा राष्ट्रीय दलहन मिशन, NFSM, अतिरिक्त वित्तीय सहायता और MSF में वृद्धि आदि पहलें शुरू की गई है, किंतु सरकारी लाभों को कृषकों तक पहुँचाना और कृषकों की बाज़ार तक पहुँच सुनिश्चित करने के भी प्रयास किये जाने चाहिये।