नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    मानव जनित वर्षा (cloud seeding) की प्रक्रिया को स्पष्ट करें। क्या इस विधि को भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में व्यवहृत करना धारणीय है?

    06 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • क्लाउड सीडिंग की भारत में आवश्यकता क्यों है?
    • क्लाउड सीडिंग तकनीक क्या है।
    • क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया के पक्ष-विपक्ष में अपने तर्क दें तथा संतुलित निष्कर्ष के साथ उत्तर समाप्त करें।

    देश के कई हिस्सों में सूखा की घटना एक सामान्य बात है। इस स्थिति के परिणाम कठोर हैं और कई बार तो अपरिवर्तनीय हैं। सूखा की स्थिति तब होती है जब दुनिया के कुछ हिस्से महीनों के लिए बारिश से वंचित रह जाते हैं या फिर पूरे साल के लिए भी। बादलों के बीजन (cloud seeding) की तकनीक भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की समस्या से निजात दिलाने का कारगर उपाय हो सकता है। ऐसी तकनीक मानसून की परिवर्तनशीलता संबंधी इसके प्रभावों के न्यूनीकरण में कारगर सिद्ध हो सकती है तथा कृषि एवं पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है

    क्लाउड सीडिंग मौसम में बदलाव लाने की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बादलों से इच्छानुसार वर्षा कराई जा सकती है। क्लाउड सीडिंग के लिए सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस (ठोस कार्बन डाईऑक्साइड) को रॉकेट या हवाई जहाज के ज़रिए बादलों पर छोड़ा जाता है। हवाई जहाज से सिल्वर आयोडाइड को बादलों के बहाव के साथ फैला दिया जाता है। विमान में सिल्वर आयोडाइड के दो बर्नर या जनरेटर लगे होते हैं, जिनमें सिल्वर आयोडाइड का घोल हाई प्रेशर पर भरा होता है। जहां बारिश करानी होती है, वहां पर हवाई जहाज हवा की उल्टी दिशा में छिड़काव किया जाता है। कहां और किस बादल पर इसे छिड़कने से बारिश की संभावना ज़्यादा  होगी, इसका फैसला मौसम वैज्ञानिक करते हैं। इसके लिए मौसम के आंकड़ों का सहारा लिया जाता है। इस प्रक्रिया में बादल हवा से नमी सोखते हैं और कंडेंस होकर उसका मास यानी द्रव्यमान बढ़ जाता है। इससे बारिश की भारी बूंदें बनने लगती हैं और वे बरसने लगती हैं। क्लाउड सीडिंग का उपयेाग वर्षा में वृद्धि करने के लिये, ओलावृष्टि के नुकसान को कम करने, कोहरा हटाने तथा तात्कालिक रूप से वायु प्रदूषण कम करने के लिये किया जाता है।

    क्या यह भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रें के लिये धारणीय है?
    पक्ष में तर्कः

    • क्लाउड सीडिंग तकनीक का प्रयोग चीन द्वारा 1958 से न केवल वर्षा कराने के लिये बल्कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिये भी किया जा रहा है। 2008 के बीजिंग ओलंपिक से पहले चीन ने स्मॉग हटाने तथा स्वच्छ आसमान सुनिश्चित करने के लिये इस प्रक्रिया को लागू किया था। 
    • वर्षा की कमी को पूरा करने के लिये वैकल्पिक साधनों की भी सीमित उपयोगिता है। 
    • सूखाग्रस्त क्षेत्रें में आत्महत्या के बढ़ते मामले तथा कृषि क्षेत्र में पानी की बढ़ती मांग जल-प्रबंधन में नए आयामों की मांग को बढ़ावा दे रहे हैं। 
    • शुष्क जलवायु में कुछ कृत्रिम परिवर्तन कृषि के लिये लाभप्रद होते हैं। 
    • जलवायु परिवर्तन तथा मौसम संबंधी भविष्यवाणी की पुरानी प्रौद्योगिकी इसकी आवश्यकता पर बल देते हैं। 

    क्लाउड सीडिंग के विरुद्ध तर्क:

    • भारत में इसकी प्रामाणिकता अब भी संदेहास्पद है। 
    • क्लाउड सीडिंग अच्छी तरह तभी कार्य करता है, जब वर्षा स्तर कम-से-कम सामान्य हो। 
    • 2009 में बीजिंग के ऊपर अत्यधिक क्लाउड सीडिंग के कारण सामान्य से अधिक तुषारापात हुआ, जिस कारण एक अप्रत्याशित शीतलहर का सामना करना पड़ा। 
    • इस प्रक्रिया में प्रयुक्त रसायनों के परिणामस्वरूप विशेषज्ञों ने द्वितीयक वायु तथा जल प्रदूषण की चेतावनी दी है। 
    • स्थानीय तापमान तथा वायु प्रवाह के ऊपर अनियोजित प्रभाव इसे अब भी विवादित बनाते हैं। 
    • इसका प्रभाव लक्षित क्षेत्र से बाहर भी पड़ सकता है जिसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। 

    निष्कर्षः यहाँ समस्या क्लाउड सीडिंग शब्द को अप्राकृतिक कहने से है। मानव ने जब से पृथ्वी पर कदम रखा है या कम-से-कम जब से जीवाश्म ईंधन जलाना शुरू किया है, तब से वह मौसम तंत्र को रूपांतरित करता आया है, जो कि क्लाउड सीडिंग परियोजनाओं से कहीं ज्यादा प्रभाव डालते हैं। एक प्रदूषक के रूप में सिल्वर आयोडाइड चिमनियों से निकलते टनों प्रदूषण तथा गाडि़यों के धुएँ के समक्ष नगण्य है। इसके अलावा, हम जल संरक्षण के परंपरागत तौर-तरीकों को भी पुनर्जीवित कर सकते हैं जो भारतीय संदर्भ में जाँचा-परखा हुआ है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow