सरकार द्वारा नीति आयोग का गठन एक थिंक टैंक के रूप में किया गया था। इस संदर्भ में नीति आयोग की वर्तमान प्रासंगिकता का समालोचनात्मक परीक्षण करें।
उत्तर :
भूमिका में :-
नीति आयोग को थिंक टैंक के रूप में स्पष्ट करते हुए प्रश्नगत कथन की संक्षिप्त व्याख्या कीजिये।
विषय-वस्तु में :-
भूमिका से लिंक रखते हुए प्रथम पैराग्राफ में नीति आयोग की वर्तमान प्रासंगिकता पर चर्चा करें, जैसे :
- नीति आयोग एक थिंक टैंक के रूप में।
- केंद्र राज्यों के मध्य समन्वयकर्त्ता के रूप में।
- प्रतिस्पर्द्धी संघवाद की भावना का प्रोत्साहनकर्त्ता।
- नवाचार में सुधार इत्यादि को विश्लेषित करके लिखें।
प्रश्न में चूँकि समालोचनात्मक परीक्षण करने को कहा गया है, अतः संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए प्रासंगिकता के नकारात्मक पक्ष पर भी चर्चा करें, जैसे :
- विकास हेतु योजना बनाने के प्रतिमान के बिना भारत नए विचारों के साथ नहीं बदल सकता है।
- सार्वजनिक या निजी निवेश के क्षेत्र में अकेले निर्देशन के कारण इसकी कोई भूमिका नहीं है।
- दीर्घकालिक परिणामों का नीति निर्माण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
- यदि नीति आयोग को थिंक टैंक मान भी लिया जाए, तो इसका तात्पर्य है कि नए विचारों के सृजन के समय यह सरकार से एक सम्मानजनक बौद्धिक दूरी बनाए रखता है।
- यह भारतीय अर्थव्यवस्था के उद्धारकर्त्ता के रूप में सार्वजनिक क्षेत्र के आधारभूत और सामाजिक रूप से उन्मुख योगदान की प्रशंसा के बिना, निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के गुणों का बखान करता है।
- इसके अलावा, आलोचकों का यह भी मानना है कि भारत जैसे देश नए विचारों और रणनीतियों के साथ स्वयं को कैसे बदल सकते हैं, जबकि विकास के लिये योजना बनाने का कोई प्रतिमान ही नहीं है?
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
नोट : निर्धारित शब्द-सीमा में विश्लेषित करके लिखें।