क्रिप्टोकरेंसी से आप क्या समझते हैं? इससे संबंधित समस्याओं तथा समाधानों की चर्चा करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- क्रिप्टोकरेंसी क्या है ?
- इसके इस्तेमाल से किन –किन समस्याओं (वर्तमान तथा भविष्य में) का सामना करना पड़ रहा है ?
- समस्याओं को सुलझाने के लिये किये जाने वाले उपाय।
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मुद्रा के आविष्कार से पहले लोग वस्तु विनिमय के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की प्राप्ति करते थे लेकिन जैसे-जैसे तकनीक उन्नत हुई व्यापार के तरीकों में भी बदलाव आता गया। आभासी मुद्रा (virtual Currency) का लगातार बढ़ रहा प्रचलन 21वीं सदी के सबसे महत्त्वपूर्ण बदलावों में से एक है।
क्रिप्टोकरेंसी क्रिप्टोग्राफी प्रोग्राम पर आधारित एक वर्चुअल करेंसी या ऑनलाइन मुद्रा है। यह पीयर-टू-पीयर कैश सिस्टम है। इसे डिजिटल वालेट में रखा जा सकता है। दरअसल क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल के लिये बैंक या किसी अन्य वित्तीय संस्थान की आवश्यकता नहीं होती।
समस्याएं:
- क्रिप्टोकरेंसी की संपूर्ण व्यवस्था के ऑनलाइन होने के कारण इसकी सुरक्षा कमज़ोर हो जाती है और इसके हैक होने का खतरा बना रहता है। इसलिये यह एक असुरक्षित मुद्रा मानी जाती है।
- यह मुख्य वित्तीय सिस्टम और बैंकिंग प्रणाली से बाहर रहकर काम करती है। यही कारण है कि इसके स्रोत और सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न उठते हैं।
- आर्थिक जानकारों का भी मानना है कि इसकी तकनीकी जानकारी रखे बिना इसमें निवेश करने के भारी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
- क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या इसके नियंत्रण तथा प्रबंधन की है। भारत जैसे कई देशों ने अभी तक इसे मुद्रा के रूप में स्वीकृति प्रदान नहीं की है, ऐसे में इसका प्रबंधन एक बड़ी समस्या है।
- आर्थिक जानकारों का भी मानना है कि इसकी तकनीकी जानकारी रखे बिना इसमें निवेश करने के भारी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
समाधान हेतु किये जा रहे प्रयास:
- देश में बिटकॉइन की स्थिति तय करने के लिये वित्त मंत्रालय ने एक अंतर-अनुशासनात्मक समिति गठित की है, जो भारत में बिटकॉइन के भविष्य की दशा-दिशा पर सुझाव देगी।
- हाल ही में आयकर विभाग ने देश के बड़े बिटकॉइन एक्सचेंजों में टैक्स चोरी की संभावनाओं के मद्देनजर सर्वे किये थे और इसके अनुसार सरकार द्वारा बिटकॉइन पर एक अन्य समिति का गठन किया गया है।
- दुनियाभर में सेंट्रल बैंकों को स्वयं की क्रिप्टोकरेंसी जारी करनी चाहिये, भारत इस राह पर आगे बढ़ चुका है।
- क्रिप्टोकरेंसी का विनियम किया जाए जिससे की उपभोक्ता को मज़बूत संरक्षण मिल सके।
- इसे सामाजिक विकास से जोड़ा जाए जिससे सामाजिक विकास की प्रक्रिया में जवाबदेही, पारदर्शिता और ईज ऑफ डूईंग बिज़नेस के अलावा नवाचारों को भी बढ़ावा मिले।