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प्रश्न :
‘सामाजिक संजाल स्थल’ (social networking sites) क्या होता हैं और इन स्थलों से क्या सुरक्षा उलझनें प्रस्तुत होती हैं?
16 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- ‘सामाजिक संजाल स्थल’ से आप क्या समझते हैं?
- इनके इस्तेमाल में आनेवाली समस्याएं तथा सुरक्षा संबंधी चिंताएं
- निष्कर्ष
‘सामाजिक संजाल स्थल’ (social networking sites) आज के इंटरनेट का एक अभिन्न हिस्सा है और दुनिया में एक अरब से अधिक लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है। यह एक ऑनलाइन मंच है जो उपयोगकर्ता को एक सार्वजनिक प्रोफाइल बनाने एवं वेबसाइट पर अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ सहभागिता करने की अनुमति देता है। प्रोफाइल का उपयोग अपने विचारों को साझा करने, पहचान के लोगों या अजनबियों से बात करने में किया जाता है। उदाहरण - फेसबुक, ट्विटर आदि इस संपूर्ण प्रक्रिया में वेबसाइट पर उपलब्ध उपयोगकर्ता की निजी सूचनाएँ भी साझा हो जाती हैं।
यह पूरी प्रक्रिया सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित होती है, जहाँ विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है। उपयोग के बहुविविध तरीके और तकनीकी निर्भरता ने ‘सामाजिक संजाल स्थल’ को विभिन्न प्रकार के ख़तरों के प्रति सुभेद्य किया है-
सिस्को (CISCO) की वार्षिक सुरक्षा रिपोर्ट 2013 के अनुसार ऑनलाइन सुरक्षा संबंधी ख़तरों की सर्वाधिक संभावना सामाजिक संजाल स्थलों पर है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन साइटों पर ऑनलाइन विज्ञापन, जो कि दुर्भावनापूर्ण है, के देने की संभावना अश्लील साइट्स की तुलना में लगभग 182 गुना अधिक है।
विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2013 के अनुसार सोशल मीडिया के जरिये झूठी सूचना का तेजी से प्रसार उभरते जोखिमों में से एक है।
उपयोगकर्ता से संबंधित गोपनीय सूचनाएँ चोरी की जा सकती हैं, जिनका दुरुपयोग हो सकता है। हाल ही में फेसबुक के माध्यम से व्यक्तिगत सूचना चोरी करने का मामला भी सुर्ख़ियों में है। व्यक्तिगत दुर्भावना से प्रेरित होकर किसी की सामाजिक छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा सकता है।
इसके अलावा सामुदायिक स्तर पर कट्टरपंथी एवं सांप्रदायिक विचारधारा आपसी सौहार्द को बिगाड़ सकते हैं जो कानून व्यवस्था के लिये एक बड़ी चुनौती होगी।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार-प्रसार बिना रोक-टोक संभव है, जो वैश्विक शांति हेतु ख़तरा है। इस्लामिक स्टेट एवं अलकायदा जैसे चरमपंथी संगठनों द्वारा ऐसे मंचों का उपयोग किया जा रहा है। हाल में हुए कई आतंकी हमलों में सोशल मीडिया का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है। इस्लामिक स्टेट जैसे संगठन तो सोशल मीडिया के द्वारा ही युवाओं की भर्ती भी करते हैं।
सुरक्षा उलझनों का समाधान:
- ‘सोशल मीडिया इंटेलीजेन्स’ (SOCMINT) के माध्यम से सोशल मीडिया गतिविधियों का विश्लेषण करते रहना और संकट की पहचान कर उचित कार्रवाई करना।
- सूचना तकनीक संशोधन अधिनियम, 2008 का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
- सरकार द्वारा सोशल मीडिया से संबंधित समूहों को गाइड करते रहना तथा आपत्तिजनक सूचनाओं को प्रसारित करने पर कार्रवाई करना।
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