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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    शहरों के बाह्य क्षेत्र कचरे के पहाड़ों में तब्दील होते जा रहे हैं। किस तरह जैवोपचार प्रक्रिया शहर आधारित कचरे से निपटने में सहायक है?

    26 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • उत्तर की शुरुआत प्रश्न के संदर्भ को रेखांकित करते हुए करें, शहर के बाहर कचरे के ढेरों का कारण तथा प्रभाव के बारे में लिखें।
    • जैविक उपचार की प्रक्रिया किस प्रकार से इस चुनौती से निपटने में सहायक होगी तथा अंत में निष्कर्ष लिखें।

    शहर के बाहर भ्रमण के दौरान प्रायः हमें कूड़े के पहाड़ तथा कूड़े से भरे गड्ढे दिख जाते हैं। चूँकि कूड़े के अपघटन से मीथेन गैस का निर्माण होता है, जो कि अत्यंत ज्वलनशील होती है अतः इन ढेरों से लगातार धुआँ निकलते हुए देखा जा सकता है। 

    यद्यपि ऐसे नियम हैं जो निवासियों को अलग प्रकार के कूड़े को अलग-अलग करने, कूड़ा घर-घर जाकर एकत्रित करने, कूड़ेदान को दिन में 3-4 बार खाली करने, कूड़ा एकत्र करने के खुले वाहनों को हटाने, लैंडफिल में कूड़े के प्रयोग को बंद करने तथा इसे प्रसंस्करण इकाई में ले जाने, नियंत्रित डंपिंग करने इत्यादि की बात करते हैं, परंतु ठोस कचरा प्रबंधन के लिये प्रत्येक शहर के अपने तरीके हैं, जो धारणीय नहीं हैं। 

    लैंडफिल वे स्थल हैं जिनका चयन कूड़ा-कचरा तथा अन्य प्रकार के ठोस कचरे को डालने के लिये किया जाता है। ऐतिहासिक रूप से यह ठोस कचरा निस्तारण के सबसे सामान्य तरीके हैं, जिन्हें या तो भर दिया जाता है या कूड़े का ढेर बनने के लिये छोड़ दिया जाता है। 

    लैंडफिल के कारण:

    • घर, स्कूल, रेस्तराँ, सार्वजनिक स्थान, बाज़ार इत्यादि अत्यधिक मात्र में ठोस कचरा उत्पादित करते हैं, जो कि अंततः लैंडफिल में पहुँचता है। 
    • कृषि अपशिष्टः ये अत्यधिक विषाक्त होते हैं जो भूमि तथा जल संसाधनों को दूषित कर सकते हैं। 
    • उद्योग, विनिर्माण तथा निर्माण क्षेत्र का कचराः उदाहरणतः तेलशोधक कारखाने, विद्युतगृह, निर्माण कार्य तथा औषधि क्षेत्र। 
    • शहरीकरण तथा जनसंख्या वृद्धिः जनसंख्या में वृद्धि के साथ उत्पादित वस्तुओं की मांग में भी वृद्धि हो रही है जो कि ठोस कचरा उत्पादन में वृद्धि के लिये भी सहायक हैं। उदाहरणतः प्लास्टिक कुल लैंडफिल का 80% भाग होता है। 

    लैंडफिल के नकारात्मक परिणाम:

    • वायु प्रदूषण तथा पर्यावरणीय प्रभावः लगभग 10 विषाक्त गैसें विमुक्त होती हैं, जिनमें मीथेन गैस सबसे अधिक गंभीर है। इसका परिणाम ग्लोबल वार्मिंग के रूप में होता है। अन्य रसायन, जैसे कि ब्लीच तथा अमोनिया जहरीली गैस विमुक्त करते हैं जो कि वायु की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। धूलकण वातावरण में विमुक्त किये जाते हैं। 
    • भूमिगत जल प्रदूषणः भूमिगत जल रिसाव के कारण दूषित हो रहा है। यथा- औद्योगिक विलायक, घरेलू क्लीनर, इलेक्ट्रॉनिक कचरा तथा भारी धातु जैसे- शीशा, मरकरी और कैडमियम इत्यादि।
    • स्वास्थ्य प्रभावः जैसे कि जन्मदोष, जन्म के समय कम भार तथा लैंडफिल के समीप रहने वाले लोगों में व्यक्तिगत समस्याएँ भी देखने को मिली हैं। 
    • मृदा प्रदूषणः लैंडफिल मृदा तथा भूमि को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। यह आसन्न भूमि को नष्ट कर देता है तथा भूमि विषाक्त हो जाती है। 
    • लैंडफिल प्रबंधन की आर्थिक तथा सामाजिक लागत अत्यधिक है। 
    • लैंडफिल में आग लगनाः अपघटन के कारण ज्वलनशील गैसें विमुक्त होती हैं जो कि आसानी से आग पकड़ लेती हैं। यह आस-पास के निवास स्थानों को भी नष्ट कर सकती हैं। 
    • यद्यपि लैंडफिल की समस्या के कई समाधान हैं, जैसे कि समेकित कचरा प्रबंधन की रचना करना तथा इसे लागू करना, पुनर्चक्रण तथा पुनःउपयोग, किंतु जैविक-उपचार इन सबसे प्रभावी है। 
    • जैविक उपचार पर्यावरण से प्रदूषण हटाने की न केवल एक प्रक्रिया है, बल्कि यह एक पर्यावरण हितैषी तथा अधिक प्रभावी प्रक्रिया है। जल तथा मृदा से सूक्ष्म जीवों के प्रयोग द्वारा प्रदूषकों को हटाया जा सकता है। जैविक उपचार को मुख्यतः दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता हैः 1- स्वस्थाने 2- बर्हिस्थाने-
      ♦ स्वस्थाने जैवोपचारः इसके द्वारा दूषित स्थल पर ही उपचार प्रदान किया जाता है तथा यह दूषित पदार्थों के उत्खनन और परिवहन से बचाता है। इसमें दूषित स्थल पर ऑक्सीजन तथा पोषक तत्त्वों को जलीय घोल के रूप में डाला जाता है ताकि बैक्ट्रिया वृद्धि करें और जैविक पदार्थ को अपघटित करें। यह प्रायः संतृप्त मृदा तथा भूमिगत जल के लिये प्रयुक्त होता है। इसे बायो इन्वैटिंग, बायो स्पैटिंग तथा बायो ऑग्मेंटेशन के रूप में विभाजित किया गया है। 
      ♦ बहिर्स्थाने जैवोपचारः इसके अंतर्गत दूषित पदार्थ को उसके स्थल से दूर ले जाकर उपचारित किया जाता है। इसे बायोपाइलिंग, लैंडफॉर्मिंग तथा कम्पोस्टिंग के रूप में विभाजित किया गया है। 
    • जैविक उपचार का प्रयोग भारी धातुओं, रबर अपशिष्ट के साथ कृषि अपशिष्ट के लिये भी किया जा सकता है। 
    • सीमितताः खतरनाक रासायनिक कचरा जो कि अधिक सांद्र होता है तथा इनकी विषाक्तता सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोक देती है तथा कभी-कभार उन्हें मार भी देती है। 

    निष्कर्षः 
    जैविक उपचार, सूक्ष्मजीवों की सहायता से विभिन्न श्रेणी के कचरे से संबंधित समस्याओं के निदान में सक्षम है। हमें स्वीडन से शिक्षा लेनी चाहिये जो कचरा शून्य देश है, श्रीलंका जो कि कचरे को पृथक करता है तथा भूटान जहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपनी भूमि को प्रदूषित न करने के लिये प्रतिबद्ध है। इसके अलावा, हमारी सरकारी नीतियों में लैंडफिल को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिये।

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