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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में भारतीय तटों पर तेल रिसाव की कई घटनाएँ हुईं। तेल रिसाव कम करने की चुनौतियों और तरीकों को दर्शाइये।

    30 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • सर्वप्रथम ऑयल स्पिल को परिभाषित करें तथा भारतीय तटों पर ऑयल स्पिल का उदाहरण प्रस्तुत करें।
    • ऑयल स्पिल के प्रभाव तथा चुनौतियों के बारे में लिखें।

    मानवीय भूल या दुर्घटनावश समुद्र के सतह पर तेल के गिर जाने से जो संदूषण उत्पन्न होता है, उसे ऑयल स्पिल कहते हैं। तेल विश्व के सबसे महत्त्वपूर्ण ऊर्जा स्रोतों में से एक है तथा असमान वितरण होने के कारण इसे एक देश से दूसरे देश में जहाजों तथा पाइपलाइनों के माध्यम से भेजा जाता है। कई बार तेलवाहक यानों के पलट जाने तथा पाइपलाइनों के फटने जैसी दुघर्टनाएँ हुई हैं। 

    25 जनवरी, 2017 को एन्नोर पोर्ट पर ऑयल स्पिल की घटना हुई थी। मुंबई-उरान पाइपलाइन स्पिल, मुंबई ऑयल स्पिल, शिप एम-वी- रैक का डूबना इत्यादि भारतीय तटों पर ऑयल स्पिल की कुछ घटनाएँ हैं जिनके कारण समुद्री जीव-जंतुओं तथा पारिस्थितिकी तंत्र पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा

    ऑयल स्पिल के प्रभाव एवं चुनौतियाँ: 

    ऑयल स्पिल का दो-तिहाई भाग कुछ दिनों के भीतर ही वाष्पीकृत हो जाता है, परंतु जब तक हल्के तथा विषाक्त रसायन वाष्पीकृत हों ये मछलियों तथा समुद्री जानवरों को मार देते हैं। 

    तेल की मोटी परत समुद्र तट के ऊपर विषाक्त पदार्थों को भंडारित कर सकती है जिसका पर्यावरण पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। 

    तेल पूरी समुद्री खाद्य  शृंखला को प्रभावित करता है, यह घटना प्लैंकटन के साथ शुरू होती है, चूँकि यह समुद्र की गहराइयों में रहता है तथा इसे भोजन बनाने के लिये पर्याप्त रोशनी नहीं मिल पाती है। प्लैंकटन के मरने का मतलब उस पर आश्रित समुद्री जीवों की भी मृत्यु होगी तथा इसका प्रभाव मनुष्य पर भी पड़ेगा। 

    तटीय क्षेत्रों में तटरेखा तेल-जल प्रदूषण के अप्रत्यक्ष भुक्तभोगी होते हैं। तेल युक्त जल प्रायः ज्वार के समय तटरेखा से ऊपर आ जाता है और समुद्री बीच को गंदा एवं असुरक्षित कर देता है। 
    तेल प्रदूषण तल की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, चूँकि तेल जल में घुलनशील नहीं है, अतः यह हमेशा द्विसतह के रूप में मौजूद रहता है। साथ ही, लहरों के साथ यह तेल युक्त जल गंदला पायसन बना लेता है। यह जल की गुणवत्ता को और खराब कर सकता है। 
    ऑयल स्पिल पर्यावरण के ऊपर दूरगामी प्रभाव डालता है। 

    पर्यटन उद्योग, ऑयल स्पिल तथा तेल प्रदूषण से प्रभावित होता है। समुद्री तटरेखा तथा बीच के ऊपर बढ़ते तेल प्रदूषण के कारण मनोरंजन गतिविधियों, जैसे- नौकायन, तैराकी, गोताखोरी और साहसिक खेलों को नुकसान पहुँचता है। 

    ऑयल स्पिल के प्रति अनुक्रियाः ऑयल स्पिल के प्रति अनुक्रिया एक चक्रीय कार्य है, जिसके अंतर्गत तत्परता, रोकथाम, शमन तथा पुनर्वास चक्रीय रूप से किया जाता है। ऑयल स्पिल के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या रचना तथा शोध के मामले में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तथा समन्वय की कमी है। ऑयल स्पिल को रोकने तथा हटाने के लिये विभिन्न तकनीक हैं- जैव-उपचार प्रक्रिया, दहन तकनीक, हाइपर स्पेक्ट्रल इमेज विश्लेषण तथा सैटेलाइट एवं रिमोट सेंसिंग विधि, तेल-झाड़, सॉर्वेंट, डिस्पेंसर, स्कीमिंग, ड्रेजिंग, सोलिडिफाईंग, वैक्यूम, रिलिफ वेल, हॉट वाटर तथा ह्यूज फोर्स। 

    भारत का प्रयासः किसी भी ऑयल स्पिल के प्रति अनुक्रिया में अंतर-संस्थानिक समन्वय की आवश्यकता होती है। तत्परता से एकजुट होकर उपायों को करने की आवश्यकता है तथा इसके लिये राष्ट्रीय स्तर पर एक आपात योजना बनाई गई है जो कि विभिन्न एजेंसियों के बारे में आवश्यक विवरण तथा उनके कार्यों के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाता है। 

    भारत सरकार ने राष्ट्रीय ऑयल स्पिल आपदा आपात योजना के लिये 1993 में मंजूरी दी थी तथा 

    भारतीय समुद्र क्षेत्र में ऑयल स्पिल जैसी घटनाओं के प्रति अनुक्रिया के लिये विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों को कार्य सौंपा गया है। 

    बंदरगाह की सीमाओं के भीतर ऑयल स्पिल होने पर सफाई के लिये उत्तरदायी बंदरगाह ही होंगे। 

    ऑयल हैंडलिंग इकाई से 500 मीटर की दूरी तक ऑयल स्पिल की सफाई की ज़िम्मेदारी कंपनी की होगी। 

    तटीय राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेश अपनी तटरेखा पर ऑयल स्पिल की सफाई के लिये उत्तरदायी होंगे। 

    भारत ने इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन सिविल लायबिलिटी ऑफ बेकर ऑयल पॉल्यूशन डैमेज, 2001 का अनुसमर्थन किया है जो कि ऑयल स्पिल से हुई क्षति के लिये पर्याप्त, शीघ्र तथा प्रभावी क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करता है। 

    भारत राष्ट्रीय प्रदूषण मोचन अभ्यास का भी आयोजन करता है जिसे समय-समय पर तटरक्षा बलों द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर की एजेंसियों के साथ मिलकर आयोजित किया जाता है। 

    ऑयल स्पिल एक वैश्विक घटना है जो कि विभिन्न तटों तथा गहरे समुद्र में घटित होती है और पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र का क्षरण करती है। जैसा कि इंटरनेशनल टैंकर ऑनर्स पाल्यूशन फेडरेशन ने आँकड़े प्रदान किये हैं, उनसे पता चलता है कि ऑयल स्पिल की घटनाओं में कमी हुई है परंतु समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिये वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है। 

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