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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    देश में बेरोज़गारी की समस्या को हल करने के उद्देश्य से शुरू की गई मुद्रा योजना भी अन्य योजनाओं की तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती हुई प्रतीत हो रही है। टिप्पणी कीजिये।

    11 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • मुद्रा योजना क्या है?
    • वर्तमान में इस योजना की स्थिति की समीक्षा करें।

    प्रधानमंत्री द्वारा अप्रैल 2015 को नई दिल्ली में सूक्ष्म इकाई विकास एवं पुनर्वित्त एजेंसी लिमिटेड (MUDRA-मुद्रा) बैंक की शुरुआत की। ‘मुद्रा’ का मुख्य उत्पाद प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तत्त्वावधान में सूक्ष्म व्यवसायों एवं इकाइयों को ऋण देने के लिये  पुनर्वित्तीयकरण होगा। 

    इस योजना के तहत उपलब्ध कराने वाले ऋण का नाम शिशु, किशोर और तरुण रखे गए हैं। 

    शिशु: 50,000 रुपए तक का ऋण शामिल

    किशोर: 50,000 रुपए से अधिक तथा 5 लाख रुपए तक का ऋण शामिल

    तरुण: 5 लाख रुपए से अधिक तथा 10 लाख रुपए तक का ऋण शामिल 

    वर्तमान समय में मुद्रा योजना की सेहत बिगड़ी हुई दिख रही है। हाल में आई कुछ रिपोर्टों के मुताबिक़ छत्तीसगढ़ में मुद्रा योजना के तहत दिये गए क़र्ज़ में से 50 प्रतिशत की वसूली नहीं हो पाई है। यह भी पता चला है कि क़र्ज़ लेने वालों ने अपने आधार में दर्ज स्थायी पते भी बदल लिये हैं। यह देखते हुए अब बैंकों ने भी क़र्ज़ देना मुश्किल कर दिया है। इससे नए बेरोजगारों को क़र्ज़ लेने में खासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है। सैकड़ों आवेदन लंबित पड़े हैं, जिनके आवेदकों को क़र्ज़ नहीं मिल रहा है। 

    सरकार की यह योजना बैंककर्मियों की मनमानी और दलालों के फेर में भी फँसती दिखती है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ कई मामलों में देखा गया है कि बैंक के लोग अपनी पसंद के आवेदक को लोन दे रहे हैं तो किसी दूसरे व्यक्ति की फाइल में कोई न कोई कमी निकाल कर उसे वापस भेज रहे हैं। इसके अलावा कहीं शासन या प्रशासन द्वारा तय किये गए लक्ष्य को पूरा करने के चक्कर में लोन दिए जा रहे हैं। चूँकि, योजना बैंककर्मियों के भरोसे चल रही है, इसलिये उनमें से कुछ अपनी जेब भरने में लगे हैं।

    इसके साथ ही मुद्रा योजना के तहत ज़्यादातर क़र्ज़ शिशु वर्ग के तहत दिये जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो किशोर वर्ग के तहत केवल 6.7 व तरुण वर्ग के तहत 1.4 प्रतिशत ऋण आवेदन स्वीकृत हो पाए हैं। इस योजना को लेकर बैंककर्मियों की मनमानी और भ्रष्टाचार को देखते हुए कई जानकार इस पर सवाल खड़ा करते हैं।

    फ़र्स्ट पोस्ट की एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बैंक मुद्रा योजना के नाम पर जो लोन दिखा रहे हैं, वे वास्तव में साधारण लोन हैं, लेकिन बताया यह जा रहा है कि ये मुद्रा योजना के तहत दिये गए। ‘मुद्रा’ का गठन बैंक सुविधाविहीन लोगों को वित्त की सुविधाएँ बढ़ाने व अनौपचारिक, सूक्ष्म/लघु उद्यम क्षेत्र को स्थानीय वित्त दाताओं के वित्त की लागत को कम करने के उद्देश्य से आरंभ किया गया था किन्तु वर्तमान स्थिति को देखकर लग रहा है कि यह योजना भी कहीं अन्य योजनाओं की तरह सरकारी बाबुओं की जेब भरने का एक ज़रिया बन कर न रह जाए।

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