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प्रश्न :
"भारत अपनी विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों और विशाल जनसंख्या के कारण विश्व के सर्वाधिक आपदा संभावित देशों की श्रेणी में आता है।" इस कथन के आलोक में उत्तराखंड में बादल फटने की घटना के संदर्भ में व्याख्या करें,साथ ही इस चुनौती से निपटने हेतु समय पूर्व एवं पश्चात क्या उपाय करने की ज़रूरत है?
16 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधनउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा :
- भारत की भौगोलिक स्थिति,जनसंख्या एवं यहाँ आने वाली आपदाओं की चर्चा।
- उत्तरा में बादल फटने की घटना से संबंधित जानकारी देना।
- आपदा पूर्व तथा आपदा पश्चात् तैयारियों का उल्लेख करना।
अपनी विशिष्ट भू-जलवायु स्थितियों और स्थलाकृतिक विशेषताओं, जैसे-उत्तर में हिमालय एवं दक्षिण में तीनों ओर से समुद्र से घिरी 7500 किमी. लम्बी तटरेखा, अनिश्चित मानसूनी जलवायु एवं 1.2 अरब लोगों की विशाल जनसंख्या की आवश्यकताओं से जनित कारकों के परिणामस्वरूप भारत में समय-समय पर विभिन्न प्रकार की आपदाओं का प्रभाव देखा गया है। संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय आपदा शमन रणनीति के अनुसार भारत का आपदाओं की संख्या के अनुसार विश्व में चौथा एवं प्राकृतिक आपदाओं के मामले में विश्व में चीन के पश्चात् दूसरा स्थान है। भारत के भूभाग का लगभग 59 प्रतिशत भाग भूकंप प्रभावित तथा 68 प्रतिशत भाग सूखा प्रभावित है। भारत में प्रतिवर्ष बाढ़, सूखा, भूकम्प, चक्रवात एवं भूस्खलन आदि आपदाएँ आती हैं। इसके अतिरिक्त मरुस्थलीकरण, सुनामी (2004) आदि से भी भारत प्रभावित रहा है।
जुलाई 2016 में देवभूमि उत्तराखंड में बादल फटने के पश्चात् आई बाढ़ और भूस्खलन के परिणामस्वरूप प्रदेश में भारी तबाही हुई, इसमें 50 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और बहुत सारे लोग लापता हो गए। पिथौरागढ़ और चमोली इस आपदा से सर्वाधिक प्रभावित हुए। आपदा की तीव्रता में वृद्धि का प्रमुख कारण प्रशासन द्वारा आपदा प्रबन्धन पर समुचित ध्यान न देना था।
इस प्रकार प्रतिवर्ष घटित होने वाली इन आपदाओं से निपटने के लिये आपदा के पूर्व ही विभिन्न तैयारियाँ कर लेनी चाहियें जैसे-प्रभावित क्षेत्र का सुभेद्यता मानचित्र तैयार करना, विगत आपदाओं से सबक लेना, इन क्षेत्रों में मानव अधिवास, खनन, सड़क निर्माण आदि गतिविधियों को सीमित करना, प्रभावित क्षेत्रों को चिह्नित करना, पहाड़ी ढालों पर वनों की कटाई पर रोक लगाना तथा वनारोपण आदि।
आपदा के पश्चात् इन क्षेत्रों में निम्न कार्यों पर बल देना चाहिये जैसे-मलबा एवं बाढ़ में फँसे लोगों को शीघ्रता से बाहर निकालना तथा उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना, बचे लोगों को समुचित चिकित्सा सहायता, भोजन, पेयजल आदि उपलब्ध कराना, बेघर लोगों के लिये अस्थायी कैम्प की व्यवस्था करना, प्रभावित लोगों के पुनर्वास के उपाय करना तथा आपदा से सबक लेकर आगामी रणनीति बनाना।
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