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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार "विश्व में बढ़ती जनसंख्या तथा औद्योगीकरण एवं नगरीकरण में तेज़ी से वृद्धि के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट पदार्थों द्वारा उत्पन्न पर्यावरण प्रदूषण की समस्या जटिल होती जा रही है।" उपरोक्त कथन के आलोक में ठोस अपशिष्ट पदार्थों के प्रकारों के साथ-साथ इसके प्रबंधन हेतु उठाए जा सकने वाले कदमों की व्याख्या करें।

    01 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • ठोस अपशिष्ट पदार्थों के उत्पन्न होने के कारण।
    • ठोस अपशिष्ट पदार्थ तथा उनके दुष्प्रभाव।
    • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन।
    • सरकार द्वारा उठाए गए कदम।
    • निष्कर्ष।

    वर्तमान विश्व की जनंसख्या 7 अरब के पार पहुँच गई है एवं विश्व के लगभग सभी देशों में औद्योगीकरण एवं नगरीकरण की होड़ सी लगी हुई है जिस कारण विश्व में विशाल मात्रा में ठोस अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है जो कि अत्यन्त चिंता का विषय है। इस समस्या का यदि समय रहते समाधान न किया गया तो यह विकराल रूप धारण कर सकती है।

    ठोस अपशिष्ट पदार्थों के अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट, जैव चिकित्सा अपशिष्ट एवं औद्योगिक अपशिष्ट को शामिल किया जाता है। इन अपशिष्ट पदार्थों में कांच, कागज़, बोतल, डब्बे, धातु, कुछ खास प्लास्टिक, निर्माण और विध्वंस से संबंधित कचरे, गंदगी, पत्थर, मलबा, बेकार कपड़े, टेट्रा पैक, बेकार प्लास्टिक जैसे खिलौने, घरेलू खतरनाक अपशिष्ट और विषाक्त अपशिष्टः दवाएँ, ई-कचरा, पेंट, रसायन, प्रकाश बल्ब, फ्लोरोसेंट ट्यूब, स्प्रे कैन, उर्वरक और कीटनाशक कंटेनर, बैटरी, जूता पॉलिश आदि तत्त्व प्रमुख हैं जो भूमि क्षरण, जल, वायु एवं मृदा प्रदूषण आदि का कारण बनते हैं। इसके कारण श्वास, फेफड़े एवं पेट संबंधी बीमारियाँ, चर्म रोग, कैंसर, नेत्र रोग, मस्तिष्क संबंधी रोग आदि फैलते हैं।

    इन ठोस अपशिष्ट पदार्थों का उचित प्रबंधन करके पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का समाधान किया जा सकता है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत अपशिष्ट परिवहन संसाधन, पुनर्चक्रण या अपशिष्ट (waste) के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह आदि को शामिल किया जाता है। परिवहन के तहत अपशिष्ट पदार्थों को घर, फैक्ट्री आदि से उचित स्थान पर पहुँचाना, संसाधन के अंतर्गत अपशिष्ट पदार्थों को ज़मीन के अन्दर दबाना, उनका दहन करना, पुनर्चक्रण के अंतर्गत उनको पुनः उपयोग के लायक बनाना आदि शामिल हैं। इसके साथ ही ठोस जैव पदार्थों का उपयोग खाद्य निर्माण एवं ऊर्जा उत्पादन आदि में किया जा सकता है।

    ठोस अपशिष्ट पदार्थों के उचित प्रबंधन के लिये सरकार द्वारा हाल ही में ठोस अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन अधिनियम को 16 वर्षों के पश्चात् संशोधित किया गया है तथा इसमें शहरी और औद्योगिक क्षेत्र को भी शामिल कर इसे और प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है।

    इस प्रकार ठोस अपशिष्ट के उचित प्रबन्धन के द्वारा ही हम पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को हल कर धारणीय विकास की ओर अग्रसर हो सकते हैं और औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं।

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