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प्रश्न :
हाल ही में कोशिका चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिये नई स्टोरेज तकनीक को विकसित किया जा रहा है। यह तकनीक क्या है तथा इसके माध्यम से चिकित्सा क्षेत्र की किन-किन समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा? स्पष्ट चर्चा करें।
05 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकीउत्तर :
प्रश्न-विच्छेद
- कोशिका चिकित्सा पद्धति की नई विकसित तकनीक को बताना है।
- चिकित्सा क्षेत्र की समस्याओं, जिनका समाधान इसके माध्यम से किया जा सकेगा, उनकी चर्चा करनी है।
हल करने का दृष्टिकोण
- प्रभावी भूमिका लेखन से उत्तर की शुरुआत करें।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु लिखें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
यूके स्थित कंपनी एटेलिक्स ने एक तकनीक विकसित करने का दावा किया है। यह रूपांतरित प्रौद्योगिकी है जो मानव स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में विस्तृत रूप से प्रयोग में आने वाली सेल थेरेपी की उम्मीदों को बढ़ाने के साथ स्टेम कोशिकाओं सहित जीवनरक्षक कोशिकाओं को स्टोर करने और उन्हें गतिशील बनाने में मदद करती है।
इस तकनीक से कोशिकाओं को सामान्य तापमान पर अच्छी तरह से एक एल्गिनेट जैल के रूप में पैक कर स्टोर किया जा सकता है। वर्तमान में कोशिकाओं को संरक्षित एवं गतिशील बनाए रखने के लिये क्रायोशिपिंग अर्थात् शून्य या उससे भी कम तापमान का उपयोग करना आवश्यक है। एल्गिनेट भूरे रंग के समुद्री शैवाल से प्राप्त प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक बहुलक है जिसका प्रयोग खाद्य, रसायन एवं जैव चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
एटेलिक्स जो कि न्यूकैस्टल यूनिवर्सिटी का एक स्टार्ट-अप है, ने एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (LVPEI), हैदराबाद के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यावसायीकरण के लिये रूपांतरित प्रौद्योगिकी के एक हिस्से के रूप में करार किया है। LVPEI को इस करार से आँखों की कॉर्निया से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिये स्टेम सेल आधारित थेरेपी का उपयोग कर इस समस्या को दूर किये जाने की उम्मीद है। विभिन्न आँकड़ों के अनुसार भारत में कॉर्निया संबंधी अंधेपन से पीडि़त लगभग 1,30,000 लोग हैं। इस बीमारी के 30 प्रतिशत मामलों में दोनों आँखें एक साथ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तथा इस रोग से बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। यद्यपि सर्जरी काफी सरल एवं तीव्रता से की जाती है परंतु फिर भी जीवनभर रोगी को उच्च स्तर पर देखभाल की आवश्यकता होती है जो कि सामान्य व्यक्ति के लिये संभव नहीं है।
चिकित्सक केवल हैदराबाद में मरीजों का इलाज कर सकते हैं जहाँ क्लिनिक आई बैंक के नजदीक स्थित है जिससे वे कोशिकाओं को पृथक् कर उन्हें CGMP सुविधा में संवर्द्धित करते हैं। इन पृथक् कोशिकाओं की जीवन अवधि 6-8 घंटे होती है जिससे उन्हें देश के अन्य हिस्सों या अन्य क्षेत्रीय केंद्रों तक ले जाना असंभव है। इसी समस्या के समाधान के लिये एटेलिक्स की एल्गिनेट तकनीक इन कोशिकाओं को 5 दिन तक सुरक्षित रख सकती है जिससे उपचार के दायरे में काफी सुधार हो सकता है।
LVPEI कॉर्निया संबंधी स्टेम सेल चिकित्सीय परीक्षणों से काफी उत्साहवर्द्धक परिणाम सामने आए हैं जिससे दुनिया भर के लाखों दृष्टिहीनों में आशा का संचार हुआ है।
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