पर्यटन उद्योग के विकास के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या भी विस्तृत होती जा रही है। समुद्र तटीय पर्यटन स्थलों के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण करें।
08 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
प्रश्न-विच्छेद
|
हल करने का दृष्टिकोण
|
पिछले कुछ वर्षों में पर्यटन का लगातार विकास हुआ है क्योंकि आधुनिक युग में पर्यटन मानवीय कार्यकलापों में महत्त्वपूर्ण हो रहा है। वर्तमान में पर्यटन उद्योग राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत तीव्रता के साथ विकसित हो रहा है। जिसके नकारात्मक प्रभाव के रूप में पर्यटन स्थलों में प्रदूषण की बढ़ती समस्या सामने आ रही है। यह समस्या विशेष रूप से समुद्र तटीय इलाकों में ज्यादा देखने में आ रही है क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों की अपेक्षा समुद्र तटीय इलाके मानव के लिये हमेशा से ही ज्यादा आकर्षक स्थल रहे हैं।
समुद्र तटीय इलाकों में प्रदूषण की स्थितिः समुद्र तटीय इलाकों में प्रदूषण की स्थिति अन्य पर्यटक स्थलों की अपेक्षा अधिक खराब है जिसका कारण यहाँ साल भर एक जैसा मौसम होने के कारण पर्यटकों की आवक में निरंतरता का होना है। उदाहरणार्थ गोवा के कैंडोलिम बीच पर हर जगह फैले कचरे को देखा जा सकता है। कुछ ऐसी ही स्थिति मुंबई, केरल, तमिलनाडु, कोलकाता आदि राज्यों की भी है।
प्रदूषण के कारण
समुद्र तट पर गंदगी के प्रमुख कारणों में से एक इस क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन की उपयुक्त प्रणाली का न होना है। दूसरा, यहाँ घूमने आने वाले अधिकांश लोगों में प्राकृतिक सौंदर्य की भावना का अभाव पाया जाता है, वे समुद्र तट पर केवल समुद्र का आनंद लेने आते है और अपने साथ लाए संसाधनों को गंदगी के रूप में यहाँ छोड़ जाते है। इसके अन्य कारणों में-
निदान
समस्या के निदान के रूप में मात्र प्रकृति की चिंता करना थोड़ा अव्यावहारिक प्रतीत होता है। इसके लिये बुनियादी स्तर पर सार्थक प्रयास करने होंगे। इस संबंध में ‘व्यवहार परिवर्तन संचार’ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, इसका महत्त्वपूर्ण घटक आधारभूत संरचना है, जिसके अंतर्गत अपशिष्ट ग्रहण, उचित संग्रहण, प्रबंधन तथा पुलिस व्यवस्था की स्थापना करना है।
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि पर्यटन उद्योग को वास्तविक रूप में विकसित करने की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब पर्यटन स्थलों में प्रदूषण की स्थिति नियंत्रण में हो जाए और लोगों को एहसास हो कि समुद्र तट पर उनके द्वारा लिया जाने वाला आनंद के साथ ही उस खूबसूरत पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखना है।