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प्रश्न :
हाल ही में रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में वृद्धि की गई है। अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को रेखांकित करते हुए रेपो दर और मुद्रास्फीति के संबंध को स्पष्ट कीजिये।
09 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
प्रश्न-विच्छेद
- रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव बताना है।
- रेपो दर तथा मुद्रास्फीति के संबंध को बताना है।
हल करने का दृष्टिकोण
- प्रभावी भूमिका लिखते हुए रेपो दर को बताएँ।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु लिखते हुए बैंक द्वारा रेपो दर बढ़ाए जाने तथा अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को बताएँ।
- मुद्रास्फीति से इसके संबंधों की चर्चा करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
बैंकों को अपने कामकाज के सुचारु रूप से संचालन के लिये बड़ी रक़म की जरूरत होती है इसके लिये वे आरबीआई से अल्पकाल के लिये ऋण लेते हैं। इस कर्ज़ पर रिज़र्व बैंक को उन्हें जिस दर से ब्याज देना पड़ता है उसे रेपो दर/रेट कहा जाता है। हाल ही में रिज़र्व बैंक ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 6.0 प्रतिशत से 6.25 प्रतिशत कर दिया है।
रिज़र्व बैंक द्वारा रेपो दर बढ़ाने से बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज़, जैसे होम लोन, वाहन लोन आदि महँगे हो जाएंगे। ब्याज दरों के बढ़ने से म्यूचुअल फंड की लंबी अवधि वाली डेट स्कीम के निवेशकों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। ऋण के महँगा होने से आर्थिक गतिविधियों में कमी आने लगती है जिससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
रेपो दर और मुद्रास्फीति में संबंध-
- रेपो दर कम होने से बैंकों के लिये रिज़र्व बैंक से कर्ज़ लेना सस्ता हो जाता है और तभी बैंक ब्याज दरों में भी कटौती करते हैं, ताकि ज्यादा-से-ज्यादा रक़म कर्ज़ के तौर पर दी जा सके। रेपो दर में वृद्धि होने पर सभी प्रकार के कर्ज़ महँगे हो जाते हैं।
- मुद्रास्फीति बढ़ने का एक मतलब यह भी है कि वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों में वृद्धि के कारण, बढ़ी हुई क्रय शक्ति के बावजूद लोग पहले की तुलना में वर्तमान में कम वस्तुओं एवं सेवाओं का उपभोग कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में आरबीआई बढ़ती हुई मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखने के लिये बाजार से पैसे को अपनी तरफ खींच लेता है तथा रेपो दर में बढ़ोत्तरी कर देता है, ताकि बैंकों के लिये कर्ज़ लेना महँगा हो जाए और वे अपनी बैंक दरों को बढ़ा दें तथा लोग कर्ज़ न ले सकें।
वर्तमान में जीडीपी में शानदार वृद्धि, खुदरा महँगाई दर का निचले स्तर पर होना, मजबूत जीएसटी संग्रह और सकारात्मक निवेशक विचारों के साथ मौद्रिक नीति इस बात की पुष्टि करती है कि आर्थिक गतिविधियों में उछाल आ रहा है और मुद्रास्फीति भी नियंत्रित स्थिति में है। अतः बढ़ी हुई रेपो दर का अर्थव्यवस्था पर कोई गंभीर प्रभाव नही होगा।
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