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प्रश्न :
बैड-बैंक से आप क्या समझते हैं? इससे संबंधित समस्याओं तथा उनके निदान के उपायों की चर्चा कीजिये।
11 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
प्रश्न-विच्छेद
- बैड-बैंक के विषय में बताना है।
- इससे संबंधित समस्याओं तथा उनके निदान के उपायों की चर्चा करनी है।
हल करने का दृष्टिकोण
- प्रभावी भूमिका लिखते हुए बैड-बैंक की अवधारणा को स्पष्ट करें।
- तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में इसकी समस्याओं और उनके निदान के उपायों को स्पष्ट करें।
बैड-बैंक एक आर्थिक अवधारणा है, जिसके अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देयताओं को एक नए बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है। दूसरे शब्दों में, जब किसी बैंक की गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ सीमा से अधिक हो जाती हैं, तब राज्य के आश्वासन पर एक ऐसे बैंक का निर्माण किया जाता है, जो मुख्य बैंक की देयताओं को एक निश्चित समय के लिये धारण कर लेता है। यह बैड-बैंक कर्ज़ में फँसी बैंकों की राशि को खरीद लेगा और उसके निपटान का काम भी इसी बैंक को करना होगा।
चूँकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ तेजी से बढ़ी है और बैड-बैंक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों की तरह कार्य करेगा, अतः इसका नाम पब्लिक सेक्टर एसेट रिहैबिलिटेशन एजेंसी (पीएआरए) होगा। यद्यपि बैड बैंक के आने से दूसरे बैंकों से डूबते कर्ज़ को वसूलने का दबाव हट जाएगा अैर वे नए ऋण देने पर ध्यान केंद्रित कर पाएँगे तथा बैंकों को अपने डूबते कर्ज़ बैड-बैंक को बेचने की सुविधा मिलेगी तथापि इससे जुड़ी कुछ समस्याएँ भी हैं जिन पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
- बैड-बैंक की स्थापना में सबसे बड़ी समस्या बैंक में हिस्सेदारी को लेकर है जो कि निजी और सार्वजनिक दोनों ही क्षेत्रों की अधिकतम भागीदारी से है।
- यदि बैड-बैंक में सरकार की हिस्सेदारी अधिक हो तो बैंकों की गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ इतनी अधिक हो गयी हैं कि बैड बैंक के माध्यम से इनकी खरीद पर सरकार को उल्लेखनीय व्यय करना पड़ सकता है।
- साथ ही, एक सरकारी बैड-बैंक को उन्हीं समस्याओं का सामना करना पड़ेगा जिनका सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों के संदर्भ में कर रहे हैं।
- यदि बैड-बैंक को निजी क्षेत्र के हवाले कर दिया गया तो सबसे बड़ी समस्या गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों के मूल्य को लेकर हो सकती है। निजी क्षेत्र का बैड-बैंक अपने लाभ को ध्यान में रखते हुए गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों का मूल्य तय करेगा।
- यदि यह मूल्य बहुत अधिक हुआ, तो बैड बैंक का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा और यदि यह मूल्य बहुत ही कम हो गया, तो बैंकों को उनकी ऋण देयता के अनुपात में राशि नहीं मिल पाएगी।
आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा इस समस्या के समाधान हेतु निम्नलिखित पक्षों पर ध्यान केंद्रित किया गया है-
- सर्वप्रथम शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति और चयन व्यवस्था में बदलाव किये जाने की आवश्यकता है। इस संबंध में सरकार द्वारा 2015 में बनाई गई 7 सूत्रीय ‘इंद्रधनुष’ योजना का क्रियान्वयन किया जाना चाहिये।
- वरिष्ठ कर्मचारियों को आवश्यक ट्रेनिंग उपलब्ध कराना।
- सर्तकता को सुदृढ़ करना।
- जवाबदेही को बढ़ाना।
- प्रतिभूति हित प्रवर्तन एवं ऋणों की वसूली का कानून एवं विविध प्रावधान (संशोधन) कानून, 2016 को सख्ती से लागू करना, आदि।
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