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प्रश्न :
हाल ही में भारत के भू-जल में यूरेनियम व्यापक मात्र में पाया गया है। इसकी व्यापकता के कारणों एवं प्रभावों की संक्षेप में चर्चा करें।
12 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
प्रश्न-विच्छेद
- भारत के भू-जल स्तर में यूरेनियम के व्यापक मात्र में पाए जाने के कारणों एवं प्रभावों की संक्षेप में चर्चा करनी है।
हल करने का दृष्टिकोण
- प्रभावी भूमिका लिखते हुए भारत में भू-जल में यूरेनियम की व्यापकता को बताएँ।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में व्यापकता के कारणों एवं प्रभावों की चर्चा करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
जर्नल एन्वायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत के भू-जल में यूरेनियम बहुत बड़ी मात्रा में व्याप्त है। यूरेनियम का यह संदूषण भारत के 16 राज्यों के भू-जल में व्यापक रूप से पाया गया है।
शोधकर्त्ताओं द्वारा उत्तर-पश्चिम भारत के 26 अन्य जिलों और दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्वी भारत के नौ जिलों में यूरेनियम के उच्च स्तर के साथ प्रदूषित जलवाही स्तरों की पहचान की गई। नमूने के एक उप-समूह में उन्होंने यूरेनियम आइसोटोप के अनुपात को मापा जिसमें राजस्थान के कई जिलों में भू-जल में सर्वाधिक यूरेनियम संदूषण पाया गया।
यूरेनियम संदूषण का मुख्य कारण प्राकृतिक है, लेकिन भू-जल स्तर में गिरावट, कृषि सिंचाई के लिये भू-जल का अत्यधिक दोहन और नाइट्रेट प्रदूषण जैसे मानवीय कारक इस समस्या को और अधिक बढ़ा सकते हैं। भू-जल के अत्यधिक दोहन के कारण ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया शुरू होती है जिसके कारण भू-जल में यूरेनियम का स्तर बढ़ जाता है।
कई अध्ययनों में पाया गया कि मानव शरीर पर इसके प्रभाव के रूप में गुर्दे से संबंधित खतरनाक बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुरक्षित पेयजल मानक के अंतर्गत भारत के लिये प्रति लीटर पानी में यूरेनियम की मात्रा 30 माइक्रोग्राम निर्धारित की है जबकि राजस्थान में परीक्षण किये गए सभी कुओं में से लगभग एक-तिहाई के जल में यूरेनियम का जो स्तर पाया गया है वह सुरक्षित पेयजल मानकों से अधिक है।
अतः भारत को अपने मौजूदा जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रमों को संशोधित करने और उच्च यूरेनियम प्रसार के क्षेत्रों में मानव स्वास्थ्य जोखिमों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
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