वर्तमान में प्लास्टिक कल्चर ने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को विकराल बना दिया है। इस कथन का विश्लेषण कीजिये।
14 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
प्रश्न-विच्छेद
हल करने का दृष्टिकोण
|
जब हम अपने चारों तरफ देखते हैं तो हमें ऐसी वस्तुएँ दिखाई देती हैं जो या तो पूरी तरह से प्लास्टिक से बनी होती हैं या उनमें प्लास्टिक सामग्री का उपयोग किया गया होता है, क्योंकि हमारी तेज दौड़ती जीवनशैली ने ‘यूज एंड थ्रो’ की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है जिसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में प्लास्टिक का उपयोग बहुत अधिक बढ़ गया है। दैनिक जीवन में प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को प्लास्टिक कल्चर की संज्ञा दी गई है जो िक बढ़ते पर्यावरणीय प्रदूषण समस्या का मुख्य कारण माना जा रहा है।
प्लास्टिक उच्च आणविक द्रव्यमान के कार्बनिक बहुलक होते हैं, यह आमतौर पर सिंथेटिक होता है तथा अधिकांशतः पेट्रोकेमिकल्स एवं अन्य पदार्थों द्वारा बना होता हैं। यह पर्यावरण के लिये खतरनाक पदार्थ है क्योंकि इसे अपघटित होने में कई वर्षों का समय लग जाता है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रलय के अनुसार भारत में वार्षिक स्तर पर कुल 62 मिलियन टन ठोस कचरे का उत्पादन होता है जिसमें से 5-6 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा होता है। प्लास्टिक कचरे की इतनी बड़ी मात्र के निपटान की कोई उचित तकनीक न होने के कारण इसे या तो गड्ढों में भरकर भूमि में दबा दिया जाता है या फिर जला दिया जाता है। दोनों ही रूपों में यह पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचाता है जिसे प्लास्टिक प्रदूषण कहा जाता है। नदी, नालों में प्लास्टिक की थैलियों तथा अन्य उपकरणों के रूप में जल प्रवाह को रोककर यह जल प्रदूषण बढ़ रहा है।
पर्यावरण सुरक्षा संबंधी मानकों की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्याख्या करने के उपरांत भारत में प्लास्टिक का उपयोग कम करने के लिये सामूहिक प्रयास की आवश्यकता महसूस की गई। इस संदर्भ में देश के 25 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लागू किया गया है। इस समस्या के समाधान के लिये निम्नलिखित प्रयास किये जा रहे हैं—
विश्व पर्यावरण दिवस 2018 का विषय है ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएँ’ यह सरकारों, उद्योग जगत, समुदायों और सभी लोगों से आग्रह करता है कि वे साथ मिलकर स्थायी विकल्प खोजें और एक बार उपयोग में आने वाले प्लास्टिक के उत्पादन एवं उपयोग को जल्द-से-जल्द रोकें क्योंकि यह हमारे महासागरों को प्रदूषित कर समुद्री जीवन को नष्ट कर रहा है तथा मानव स्वास्थ्य के लिये खतरा बन गया है।