वर्तमान में घरेलू क्षेत्र में तिलहन की कीमतों में उदासीनता देखी जा रही है। इसके कारणों की चर्चा करते हुए इस क्षेत्र की समस्याओं तथा उनके निदान के उपायों की चर्चा कीजिये।
19 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
प्रश्न-विच्छेद
हल करने का दृष्टिकोण
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सामान्यतः कम आपूर्ति की स्थिति में वस्तुओं का बाज़ार मूल्य उच्च रहता है तथापि हमारे देश में तिलहन इसका अपवाद है। यहाँ तिलहनों (सोयाबीन, मूंगफली, सरसों) का उत्पादन कम होने के साथ-साथ इनकी कीमतें भी काफी लंबे समय से कम रही हैं जो उत्पादकों के हितों को चोट पहुँचा रही हैं।
घरेलू तिहलन की कीमतों में उदासीन कीमतों का एक प्रमुख कारण विदेशों से कम कीमत वाले तेलों का निरंतर बड़े पैमाने पर आयात है। पाम ऑयल का देश के वार्षिक आयात के लगभग दो-तिहाई हिस्से के हिसाब से 14 मिलियन टन का आयात किया जाता है जो कि 11 अरब डॉलर से भी अधिक है। यह भारत को दुनिया का सबसे बड़ा आयातक बना रहा है। पिछले दो दशकों में हमारी नीतिगत चूक का परिणाम यह है कि खाद्य तेल में हमारी आत्मनिर्भरता आयात-निर्भरता के साथ कम हो गई है, जबकि हमारी उपभोग आवश्यकता 70 प्रतिशत तक बढ़ गई है। हालाँकि, घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिये सरकार ने खाद्य तेल के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है परंतु आयातकों द्वारा इस शुल्क को हटाने की मांग की जा रही है। आयातकों के अनुकूल शुल्क दरों के साथ लंबे समय तक इस तरह के आयात ने घरेलू तिलहन अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है।
इस क्षेत्र की अन्य समस्याओं में शामिल हैं-
उपर्युक्त समस्याओं के निवारण हेतु सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिये :
सरकार को बिना दबाव में आए देश के व्यापार और टैरिफ नीतियों में सुधार के प्रयास कर तिलहन क्षेत्र की संरचनात्मक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
अतः उद्योग, व्यापार, नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और उत्पादकों को घरेलू उत्पादन को अधिकतम करने और आयात निर्भरता को कम करने के लिये मिलकर समन्वित प्रयास करने होंगे।