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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    वर्तमान में घरेलू क्षेत्र में तिलहन की कीमतों में उदासीनता देखी जा रही है। इसके कारणों की चर्चा करते हुए इस क्षेत्र की समस्याओं तथा उनके निदान के उपायों की चर्चा कीजिये।

    19 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    प्रश्न-विच्छेद

    • वर्तमान में घरेलू क्षेत्र में तिलहन की कीमतों में उदासीनता के कारणों की चर्चा करनी है।
    • इस क्षेत्र की समस्याओं तथा उनके निदान के उपायों को बताना है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • प्रभावी भूमिका में तिलहन के कम उत्पादन तथा कम कीमतों को चर्चा करें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में तिलहनों की कम कीमत होने के कारणों की चर्चा करें।
    • इस क्षेत्र की समसस्याओं तथा उनके निदान के उपायों को बताएँ।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    सामान्यतः कम आपूर्ति की स्थिति में वस्तुओं का बाज़ार मूल्य उच्च रहता है तथापि हमारे देश में तिलहन इसका अपवाद है। यहाँ तिलहनों (सोयाबीन, मूंगफली, सरसों) का उत्पादन कम होने के साथ-साथ इनकी कीमतें भी काफी लंबे समय से कम रही हैं जो उत्पादकों  के हितों को चोट पहुँचा रही हैं।

    घरेलू तिहलन की कीमतों में उदासीन कीमतों का एक प्रमुख कारण विदेशों से कम कीमत वाले तेलों का निरंतर बड़े पैमाने पर आयात है। पाम ऑयल का देश के वार्षिक आयात के लगभग दो-तिहाई हिस्से के हिसाब से 14 मिलियन टन का आयात किया जाता है जो कि 11 अरब डॉलर से भी अधिक है। यह भारत को दुनिया का सबसे बड़ा आयातक बना रहा है। पिछले दो दशकों में हमारी नीतिगत चूक का परिणाम यह है कि खाद्य तेल में हमारी आत्मनिर्भरता आयात-निर्भरता के साथ कम हो गई है, जबकि हमारी उपभोग आवश्यकता 70 प्रतिशत तक बढ़ गई है। हालाँकि, घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिये सरकार ने खाद्य तेल के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है परंतु आयातकों द्वारा इस शुल्क को हटाने की मांग की जा रही है। आयातकों के अनुकूल शुल्क दरों के साथ लंबे समय तक इस तरह के आयात ने घरेलू तिलहन अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है।

    इस क्षेत्र की अन्य समस्याओं में शामिल हैं-

    • सरकारों द्वारा निरंतर तिलहन उत्पादन को बढ़ाने वाले सरंचनात्मक मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है।
    • दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में घरेलू तिलहन और तेल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये प्रभावी रणनीतियों पर काम करने की बजाय सरकारों का झुकाव व्यापार और टैरिफ नीतियों की ओर रहा है।
    • सरकार द्वारा सोयाबीन, रैपसीड और सूरजमुखी के तेलों पर सीमा शुल्क बढ़ाया जाना इसके औचित्य पर सवाल खड़े करता है।

    उपर्युक्त समस्याओं के निवारण हेतु सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिये :

    • विदेशों से खाद्य तेलों के आयात को कम कर घरेलू तिलहन के उत्पादन को बढ़ाना चाहिये।
    • आयातित उत्पादों पर राजस्व वसूलने हेतु आयातकों एवं सरकार के मध्य आपसी सहमति बनाना क्योंकि यह देश के भीतर नहीं बनाया जाता है।
    • खाद्य तेल आयात की दिशा में एक मज़बूत विनियमन की आवश्यकता है जो आयात की आवश्यकता पर आधारित होना चाहिये न कि अटकलबाजियों पर।

    सरकार को बिना दबाव में आए देश के व्यापार और टैरिफ नीतियों में सुधार के प्रयास कर तिलहन क्षेत्र की संरचनात्मक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

    अतः उद्योग, व्यापार, नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और उत्पादकों को घरेलू उत्पादन को अधिकतम करने और आयात निर्भरता को कम करने के लिये मिलकर समन्वित प्रयास करने होंगे।

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