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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    वर्तमान में भारत के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को निम्न मध्य आय वाले देशों से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारणों तथा इस क्षेत्र में सुधार की संभावनाओं पर चर्चा करें।

    03 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा : 

    • सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का योगदान। 
    • प्रतिस्पर्धा के कारण।
    • सुधार की संभावनाएं।

    वर्तमान में भारत के आर्थिक विकास में आईटी क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान रहा है। पिछले कुछ वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि में 6.7 प्रतिशत योगदान आईटी का ही रहा है। पिछले 10 वर्षों में देश में जो रोज़गार उपलब्ध हुए हैं, उसका 40 प्रतिशत आईटी ने उपलब्ध कराया है।

    वर्तमान में भारत को इस क्षेत्र में निम्न मध्य आय वाले देशों के साथ कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

    • भारत में सेवा क्षेत्र में अपार संभावनाएँ विद्यमान हैं लेकिन यह क्षेत्र मुख्यधारा से अलग चल रहा है। वर्तमान में उन्नत तकनीकों वाले अन्य देश बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग कंपनियों के माध्यम से इसका लाभ उठा रहे हैं।
    • गौरतलब है कि उच्च प्रौद्योगिकी वाली सेवाओं को बेहतर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी अवसंरचना तथा तकनीकी कौशल की आवश्यकता होती है।
    • सेवा क्षेत्र में सही आँकड़ों की कमी एक बड़ी चुनौती है जिसका शीघ्र समाधान किये जाने की आवश्यकता है। क्षेत्रीय स्तर पर रोज़गार और सेवा निर्यात जैसे विभिन्न संकेतों के संबंध में वर्तमान में राज्य स्तर पर आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
    • सेवा क्षेत्र क्षेत्रधिकार संबंधी मुद्दों की चुनौती का सामना कर रहा है। विभिन्न प्रकार की सेवाएँ जैसे- शिक्षा, पर्यटन, कानूनी परामर्श और चिकित्सा समवर्ती सूची में शामिल हैं और इनमें ‘नीतिगत स्पष्टता तथा लक्ष्यों के निर्धारण की कमी आदि समस्याएँ  विद्यमान हैं।

    सुधार:

    • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 मुख्य सेवाओं के विकास को बढ़ावा देने व उनकी क्षमताओं तथा विद्यमान संभावनाओं का पता लगाने वाले वाणिज्य विभाग के प्रस्ताव को मंज़ूरी प्रदान की है।
    • इसमें सूचना प्रौद्योगिकी और आईटी सक्षम सेवाएँ, पर्यटन तथा आतिथ्य सेवाएँ, चिकित्सा हेतु यात्रा, परिवहन और रसद सेवाएँ तथा लेखा एवं वित्त सेवाएँ शामिल हैं। 
    • साथ ही इनमें विज़ुवल, कानूनी, संचार, निर्माण और इंजीनियरिंग, पर्यावरण, वित्तीय तथा शिक्षा सेवाएँ भी शामिल हैं।
    • केंद्र सरकार ने इन 12 सेवाओं के विकास के लिये 500 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं।

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