ज़ीरो बजट नेचुरल फार्मिंग क्या है? इसके उद्देश्यों की चर्चा करते हुए इससे होने वाले लाभों को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में ज़ीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का परिचय दें।
- तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में इसके उद्देश्यों तथा इससे होने वाले लाभों की चर्चा करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
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जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का तात्पर्य है किसी भी सामान्य फसल अथवा बागवानी फसल की उत्पादन लागत शून्य होना। सामान्य शब्दों में यह कहा जा सकता है कि फसलों के उत्पादन आदि के लिये जिन संसाधनों की आवश्यकता होती है वे सभी घर पर ही उपलब्ध होना। यह विधि देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र पर आधारित है। खेती की इस विधि के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- खेती की लागत कम करके अधिक लाभ कमाना,
- जमीन/मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना,
- रासायनिक खाद/कीटनाशकों के प्रयोग में कमी लाना,
- कम पानी/सिंचाई के प्रयोग से अधिक उत्पादन करना और
- किसानों की बाजार निर्भरता में कमी लाना।
इस कार्यक्रम के बल पर मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार, जैव विविधता, आजीविका, जल, रसायनों में कमी, जलवायु के प्रति लचीलापन, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण और पोषण में सुधार के माध्यम से कई टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके अन्य लाभ निम्नलिखित हैं-
- देसी प्रजाति के गौवंश के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत, घनजीवामृत तथा जामन बीजामृत बनाया जाता है। खेत में इनका उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्त्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का भी विस्तार होता है।
- इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की कोई खाद और कीटनाशक खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है।
- इसके अतिरिक्त इस विधि से खेती करने पर फसलों की सिंचाई के लिये आवश्यक पानी एवं बिजली भी मौजूदा खेती की विधि की तुलना में दस प्रतिशत ही खर्च होती है।
- यह विधि मिट्टी में ऐसी सूक्ष्म जैविक क्रियाओं को प्रोत्साहित करती है जो न केवल उच्च उत्पादकता पर बल देती है बल्कि फसल को विभिन्न प्रकार की बीमारियों एवं कीटों के हमले से भी बचाती है।
- रासायनिक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती में विभिन्न नकदी और खाद्य फसलों की उच्च पैदावार की दर देखी गई है। उदाहरणार्थ खरीफ फसलों में 2017 के पायलट चरण में प्राकृतिक खेती से प्राप्त कपास की उपज गैर-प्राकृतिक खेती से प्राप्त उपज की तुलना में औसतन 11 प्रतिशत अधिक थी।
- मॉडल जेडबीएनएफ खेतों में सूखे और बाढ़ का सामना करने की क्षमता सामान्य खेतों की अपेक्षा काफी अधिक होती है, जो जलवायु परिवर्तन की समस्या के संबंध में एक बड़ी राहत प्रदान करती है।
- इसके अलावा एक ही क्षेत्र में कई प्रकार की फसलों और सीमा फसलों के रोपण से न केवल आय में वृद्धि होती है बल्कि पोषक तत्त्वों को भी बल मिलता है।
राजस्थान के सीकर जिले ने प्रायोगिक तौर पर नेचुरल फार्मिंग विधि अपनाकर उत्साहवर्द्धक सफलता हासिल की है। आंध्र प्रदेश के सूखा प्रवण क्षेत्र रायल सीमा में नेचुरल फार्मिंग के अनुपालन से काफी आशाजनक बदलाव देखने को मिले हैं, जिसने इस संभावना को और भी प्रबल बना दिया है।