केंद्र सरकार द्वारा काले धन, कर चोरी और बेनामी संपत्ति जैसी समस्याओं से निपटने के लिये क्या-क्या उपाय किये गए हैं, विवेचनात्मक वर्णन कीजिये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में सरकार द्वारा प्रश्नगत समस्याओं से निपटने के लिये किये गए उपायों के बारे में बताते हुए जीएसटी की चर्चा करें।
- तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में सरकार द्वारा अब तक किये गए कार्यों और भविष्य में किये जाने वाले कार्यों की विवेचना करें।
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काले धन, कर चोरी और बेनामी संपत्ति जैसी समस्याओं से निपटने के लिये सरकार द्वारा समय-समय पर अनेक उपाए किये गए हैं। वर्तमान में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधारों में से एक है, मोदी सरकार द्वारा अपने शासनकाल के तीसरे वर्ष में जीएसटी को लागू किया गया।
अप्रत्यक्ष कर सुधारों के साथ-साथ सरकार ने विदेशों में रखे काले धन के मुद्दे से निपटने के लिये एक नया कानून पेश किया। साथ ही काले धन की समस्या से निपटने के लिये अन्य लक्षित कदम भी उठाए। पिछले चार वर्षों में केंद्र सरकार ने कॉर्पोरेट कर की दर में चरणबद्ध कमी लाने की प्रक्रिया को भी शुरू किया है। सरकार द्वारा इस दिशा में किये गए अन्य कार्यों को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से देखा जा सकता है -
- 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी की शुरुआत कर इस नई कर व्यवस्था के तहत 17 केंद्रीय और राज्य करों को समाहित किया गया।
- ब्लैक मनी (अज्ञात विदेशी आय एवं संपत्ति) और कर अधिनियम, 2015 का कार्यान्वयन एवं प्रभाव को स्पष्ट किया गया।
- करदाताओं को अपनी अज्ञात विदेशी संपत्ति की घोषणा करने के लिये 1 जुलाई से 30 सितंबर, 2015 तक का समय प्रदान किया गया, जिसके तहत एकल खिड़की के ज़रिये 640 से अधिक लोगों ने 4,100 करोड़ रुपए से अधिक की अज्ञात विदेशी संपत्ति की घोषणा की।
- 2016 में आय घोषणा योजना (IDS) के माध्यम से अज्ञात आय की घोषणा करने हेतु एकल खिड़की की सुविधा प्रदान की गई, विमुद्रीकरण के पश्चात् प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत भी इसी का अनुसरण किया गया।
- आईडीएस के तहत 71,000 से अधिक लोगों द्वारा 67,300 करोड़ रुपए की अज्ञात आय की घोषणा की गई, जबकि पीएमजीकेवाई के तहत लगभग 21,000 लोगों द्वारा तकरीबन 4,900 करोड़ रुपए की घोषणा की गई।
- बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम, 1988 में संशोधन किया गया। इसके तहत 900 से अधिक संपत्तियों के मामलों को अस्थायी रूप से संलग्न किया गया।
- 1 अप्रैल, 2017 से गार (General Anti-Avoidance Rules-GAAR) का कार्यान्वयन। मॉरीशस के साथ डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) में संशोधन किया गया, जिसके तहत भारत को किसी मॉरीशियन निवासी द्वारा अधिग्रहीत भारतीय कंपनी के शेयरों की बिक्री या हस्तांतरण से उत्पन्न पूंजीगत लाभ पर कर वसूलने का अधिकार दिया।
- साथ ही इसके अंतर्गत 31 मार्च, 2017 तक किये गए निवेश को इस प्रावधान से छूट भी प्रदान की गई।
कौन-कौन से कार्य अभी प्रगति पर हैं?
- एक नए जीएसटी रिटर्न फाइलिंग सिस्टम को मंज़ूरी दी गई है, इसे कार्यान्वित होने में अभी एक साल का समय लगेगा।
- कम्पोज़ीशन डीलर्स और शून्य लेन-देन वाले डीलरों को छोड़कर सभी करदाताओं को एक मासिक रिटर्न दाखिल करना होगा।
- इसके अतिरिक्त एक त्रि-स्तरीय ट्रांजीशन अवधि भी प्रस्तावित की गई है, जिसके बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट केवल विक्रेता द्वारा अपलोड किये गए चालानों पर ही प्रदान किये जाएंगे।
- जीएसटी के तहत सरकार ने वस्तुओं के अंतर-राज्य आवागमन के लिये ई-वे बिल के अनुपालन को अनिवार्य किया है।
- 3 जून से देश के सभी राज्यों द्वारा अनिवार्य रूप से ई-वे बिल प्रणाली के क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया गया है। अभी तक 20 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने ई-वे बिल को अनिवार्य किया है।
- 31 जनवरी, 2017 को आईटी विभाग द्वारा शुरू किये गए ऑपरेशन क्लीन मनी के तहत विमुद्रीकरण के बाद बड़ी संख्या में बैंकों में धन जमा कराने वाले लोगों से संबंधित आँकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।
- इसके पहले चरण में 17.92 लाख लोगों की सत्यापन हेतु पहचान की गई है।
- इसके दूसरे चरण के दौरान उच्च, मध्यम और निम्न जोखिम वाले समूहों में शामिल करदाताओं के वर्गीकरण का कार्य अभी प्रगति पर है।
- एक नया प्रत्यक्ष कर कानून तैयार करने के लिये टास्क फोर्स का गठन किया गया है। संभवतः अगले तीन महीनों में यह पैनल अपनी रिपोर्ट जमा कर देगा।
- सरकार ने जीएसटी के तहत निर्यातकों को धन-वापसी की मंज़ूरी तो दे दी लेकिन अभी इसका शत-प्रतिशत कार्यान्वयन नहीं हो पाया है।
- 31 मार्च, 2018 तक इसके लिये 17,616 करोड़ रुपए मंज़ूर किये गए थे।
कौन-कौन से कार्य अभी लंबित हैं?
- जीएसटी के तहत अधिकांश राज्यों ने अभी तक एक अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना नहीं की है। 12 राज्यों ने एएएआर (Appellate Authority for Advance Ruling-AAAR) की स्थापना के लिये अधिसूचना जारी की है।
- इसके अलावा, निर्यातकों के लिये प्रस्तावित ई-वॉलेट, जिसे अक्तूबर तक के लिये निलंबित कर दिया गया है, अभी भी लिस्ट में है।
- जीएसटी काउंसिल ने हाल की अपनी बैठक में चीनी पर सेस लगाने और डिजिटल भुगतान के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने का प्रस्ताव पेश किया।
- हालाँकि, इन प्रस्तावों का राज्यों द्वारा विरोध किया गया, जिसके बाद दो GoMs (Group of Ministers-GoMs) का गठन किया गया।
- पहले तो सरकार ने 2017-18 में 50 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये कॉर्पोरेट कर की दर को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया, फिर 250 करोड़ रुपए से अधिक का वार्षिक कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये इसे बढ़ा दिया।
- हालाँकि, इसे 2015 में प्रस्तावित सभी कंपनियों के लिये विस्तारित नहीं किया गया।
- पाँच पेट्रोलियम उत्पादों - कच्चे तेल, डीज़ल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, विमानन टरबाइन ईंधन, मानव उपभोग के अल्कोहल और अचल संपत्ति को अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, जिसका बहुत से संबंधित उत्पादों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।