दिव्यांगजनों द्वारा सामाजिक सशक्तीकरण हासिल करने की दिशा में सामाजिक नीतियाँ और सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाएँ कितनी कारगर साबित हो सकती हैं? वर्णन करें।
04 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय
भारत में दिव्यांगजनों की स्थिति के बारे में बताते हुए उत्तर आरंभ करें-
दिव्यांगजन भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूहों में से एक माने जाते हैं जो अभी भी उत्पीड़ित और हाशिये पर हैं। दिव्यांगों के अधिकारों, अवसरों की समानता और समाज की मुख्यधारा में उनके एकीकरण द्वारा उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
विषय-वस्तु के पहले भाग में हम 2011 की जनगणना में दिव्यांगों की संख्या और उनकी आवश्यकताओं पर चर्चा करेंगे-
समाज के दकियानूसी विचारों और पूर्वाग्रह के कारण दिव्यांगों को हीन, अक्षम, अपर्याप्त और पारिवारिक संसाधनों तथा समाज पर बोझ माना जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में दिव्यांगों की कुल संख्या 2 करोड़ 68 लाख के करीब है जो कुल आबादी का 2.21 प्रतिशत है। दिव्यांगों में सबसे ज़्यादा संख्या चलने-फिरने में लाचार लोगों की है जिसके बाद सुनने में अक्षम और नेत्रहीन लोगों की संख्या है। यह तथ्य अब स्थापित हो चुका है कि अन्य लोगों की तरह दिव्यांगों की भी आर्थिक, भावनात्मक, शारीरिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और राजनीतिक जरूरतें हैं। इसी के मद्देनजर दिव्यांगों के कल्याण संबंधी नीतिगत मुद्दों पर ज़ोर देने के लिये 2012 में इसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से अलग कर ‘दिव्यांग सशक्तीकरण विभाग’ बनाया गया।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम सरकार द्वारा इस दिशा में शुरू की गई पहलों को बताएंगे-
सरकार द्वारा दिव्यांग लोगों के सामाजिक सशक्तीकरण हेतु उठाए गए कदम-
इसके अलावा 2015 में सुगम्य भारत अभियान की शुरुआत की गई जिसका मकसद मौजूदा इमारतों, परिवहन के साधनों, सूचना और संचार तकनीक संबंधी पारितंत्र में दिव्यांगों के लिये पूर्ण सुगम्यता उपलब्ध कराना था।
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
दिव्यांगजनों के लिये बेहतर जीवन स्तर हासिल करने की खातिर सामाजिक सशक्तीकरण बेहद ज़रूरी है और यह एक सतत् प्रक्रिया और परिणाम दोनों है। सामाजिक सशक्तीकरण आमतौर पर चार स्तरों- व्यक्तिगत, पारिवारिक, समुदाय तथा स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। इस प्रकार दिव्यांग लोगों के सामाजिक सशक्तीकरण हेतु सामाजिक नीतियाँ और सुविधाएँ कारगार साबित हो सकती हैं।