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प्रश्न :
भारत की मध्यपाषाण शिला-कला न केवल उस काल के सांस्कृतिक जीवन की बल्कि आधुनिक चित्रकला से तुलनीय परिष्कृत सौंदर्य बोध को भी प्रतिबिंबित करती है। इस टिप्पणी का समलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
04 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
भूमिका में:
चित्रकला का सामान्य परिचय देते हुए एवं उसकी प्रागैतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में बताते हुए उत्तर आंरभ करें-चित्रकला, कला के सर्वाधिक कोमल रूपों में एक है। प्रागैतिहासिक काल में जब मानव गुफाओं में रहता था तब उसने अपनी सौंदर्यपरक सृजनात्मक प्रेरणा की अभिव्यक्ति के लिये शैलाश्रय चित्रों का सहारा लिया।
विषय-वस्तु में:
विषय-वस्तु के प्रथम भाग में हम मध्यपाषाण काल की चित्रकला के बारे में बताएंगे-मध्यपाषाण काल की चित्रकला के साक्ष्य मध्य भारत की कैमूर एवं विंध्य पहाड़ियों, कर्नाटक के कडप्पा ज़िला एवं उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों की गुफाओं से प्राप्त हुए हैं। इनसे प्राप्त चित्र अपरिष्कृत लेकिन यथार्थवादी हैं जिनमें वन्यजीवों, युद्ध एवं शिकार के दृश्यों का चित्रण है। यह काल शिला कला के लिये एक गौरवशाली अध्याय माना गया।
इन शैल चित्रों की प्रमुख विशेषता चित्रांकित दृश्यों की विविधता है, जिसमें मानव जीवन के विविध पक्षों का सूक्ष्मता से चित्रांकन किया गया है। इनमें मुख्यत: शिकार, सामूहिक नृत्य, रेखांकित मानव चित्र, पशु-पक्षी, बालक के जन्म, पोषण व भरण, उत्सव तथा युद्ध का चित्रण किया गया है। उन सभी दृश्यों के चित्रांकन के लिये गेरुआ, लाल, सफेद, हरा व पीला प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया गया है। इस प्रकार ये शैल चित्र मध्यपाषाण के लोगों के रहन-सहन जिसमें आखेटक एवं असुरक्षित जीवन शामिल है, सीमित रंगों के प्रयोग, भावी पीढ़ी की जीवन की क्रियाओं व यथार्थवादी दृष्टिकोण से परिचित कराते हैं। इससे यह स्पष्ट पता चलता है कि मध्यपाषाणकालीन मनुष्यों ने सौंदर्यपरक बोध का विकास कर लिया था, क्याेंकि इनके ज़्यादातर चित्रों के केंद्र में मनुष्य के चारों ओर प्रकृति को रखकर दिखाया गया है।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम मध्यपाषाणकालीन चित्रकला और आधुनिक चित्रकला के तुलनात्मक अध्ययन के बारे में बतलाएंगे-
यद्यपि भारत की आधुनिक चित्रकला जिसमें राजा रवि वर्मा, अमृता शेरगिल, नंदलाल बोस, अबिंद्रनाथ टैगोर आदि के द्वारा बनाए गए चित्रों में व्यापक सांस्कृतिक और परिष्कृत, सौंदर्यबोध के दर्शन होते हैं तथापि इनकी तुलना मध्यपाषणिक चित्रों से की जा सकती है। जहाँ मध्यपाषाणिक चित्रकला जीवन के विभिन्न पक्षों एवं आदर्शों की व्याख्या करती है, यानी लोगों की दिनचर्या, सामाजिक जीवन के बारे में बताती है, वहीं आधुनिक चित्रकला जीवन के विभिन्न पक्षों की तुलना में सौंदर्य पक्ष पर विशेष ध्यान देती है। आधुनिक चित्रकला के विभिन्न नियमों से बंधे रहने के कारण, जहाँ इसकी स्वयं की मौलिकता समाप्त हो जाती है, वहीं मध्यपाषाण काल की चित्रकला नियमों से न बंधी होकर उन्मुक्त प्रवृत्ति की थी।
निष्कर्ष
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।यह स्वाभाविक है कि आधुनिककालीन चित्रकला अत्यधिक विकसित और परिष्कृत है लेकिन इसमें प्रकृति संबंधी पक्षों का अभाव पाया जाता है। वहीं, मध्यपाषाणिक कला सीमित संसाधनों में बेहतर कौशल का परिचय कराती हुई उस समय के जीवन-दर्शन को प्रतिबिंबित करती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण, भीमबेटका के गुफा शैल-चित्रों का लगभग 1200 वर्षों तक जीवंत बने रहना है।
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