भारत की अंडरवाटर सुरक्षा को विश्वनीय बनाने के लिये परंपरागत और परमाणु चालित पनडुब्बियों का विकास अपरिहार्य है। समीक्षा करें।
24 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी
उत्तर की रूपरेखा
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भारत को अपनी लंबी समुद्री सीमा की निगरानी रखने और युद्ध जैसी परिस्थितियों में समुद्री सीमा की सुरक्षा करने के लिये पानी के भीतर (अंडरवाटर) अपनी क्षमता में वृद्धि करने की आवश्यकता है। इसके लिये भारत को परंपरागत और परमाणु दोनों प्रकार की पनडुब्बियों का विकास करने की आवश्यकता है। पनडुब्बियों के विकास की अपरिहार्यता को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-
परंपरागत पनडुब्बी
परमाणु पनडुब्बी
हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चीन की गतिविधियों को संतुलित करने के लिये भारत को भी अपने पनडुब्बी बेड़े में इज़ाफा करने की ज़रूरत है। वर्तमान में चीन के पास 11 परमाणु और 57 परंपरागत पनडुब्बियाँ हैं, जबकि भारत 1 परमाणु (आईएनएस अरिहंत) और लगभग 13 परंपरागत पनडुब्बियों की क्षमता के साथ चीन से काफी पीछे है। कुछ समय पहले चीन की पनडुब्बियों का श्रीलंका और पाकिस्तान के बंदरगाहों पर देखा जाना भारत के लिये चिंता की बात है। वर्तमान में भारत प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत परंपरागत पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है।
इन दोनों प्रकार की पनडुब्बियों के अतिरिक्त भारत को एक Deep Submergence Rescue Vessel (DSRV) निर्मित करने की भी आवश्यकता है, जिसमें पनडुब्बियों में दुर्घटना के दौरान बचाव कार्यों को संपन्न कराने की विशेषज्ञता हो।