भौगोलिक संकेतक (Geographical indications) से आप क्या समझते हैं? भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में इसकी भूमिका को स्पष्ट करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में भौगोलिक संकेतक की अवधारणा को समझाएँ ।
- तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में अर्थव्यवस्था में इसके लाभों को बताएँ।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त और सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
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भौगोलिक संकेतक एक पहचान चिह्न है जो किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े कृषिगत, प्राकृतिक तथा विनिर्मित उत्पादों, जिसमें हस्तरचित तथा औद्योगिक वस्तुएँ भी शामिल हैं, को शामिल किया जाता है। यह उस भौगोलिक स्थान से जुड़ी वस्तु की गुणवत्ता तथा अनोखेपन को स्पष्ट कर उसके महत्त्व को बढ़ाता है। वैश्विक स्तर पर विश्व व्यापार संगठन के ट्रिप्स (TRIPS) संबंधी प्रावधानों के तहत इसे संरक्षण प्रदान किया गया है। भारत में दार्जिलिंग की चाय, तिरूपति के लड्डू तथा नागपुर के संतरे भौगोलिक संकेतक की श्रेणी प्राप्त उत्पादों के प्रसिद्ध उदाहरण हैं।
- भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में इसकी भूमिका को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-
- भारतीय अर्थव्यवस्था में समावेशन के लिये लघु और कुटीर उद्योगों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इससे न केवल रोज़गार में वृद्धि होती है, बल्कि समग्र जी.डी.पी. पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भौगोलिक संकेतक की अवधारणा ऐसे स्थानीय उत्पादों को महत्त्व प्रदान कर लघु और कुटीर उद्योगों के विकास को बढ़ावा देगी और अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक होगी।
- भौगोलिक संकेतक की अवधारणा भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करके वैश्विक बाज़ार में इन्हें एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर सकती है। स्कॉच व्हिस्की(स्काटलैंड) का ब्रांड इसका एक स्पष्ट उदाहरण है। इससे वैश्विक बाज़ार में भारतीय वस्तुओं की मांग बढ़ेगी और भुगतान संतुलन हमारे पक्ष में होगा।
- भारतीय वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतक भारत में वस्तुओं के निर्माण को सुनिश्चित करके भारत सरकार के मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम की सफलता में भी सहायक होंगे।
- साथ-ही-साथ भौगोलिक संकेतक की संकल्पना अन्य देशों को भारत की इन प्रसिद्ध वस्तुओं की नकल तैयार करने से भी रोकेंगी। इसका लाभ भी अंततः भारतीय अर्थव्यवस्था को ही मिलेगा।
स्पष्ट है कि भौगोलिक संकेतक की अवधारणा भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकती है। किंतु, गुणवत्ता संबंधी कड़े प्रावधानों तथा जागरूकता के अभाव में हम अभी तक इसका अपेक्षित लाभ नहीं ले पाए हैं। इन प्रावधानों को विकसित करने के साथ-साथ विज्ञापन तथा विपणन संबंधी प्रावधानों को लागू कर हम इसका अपेक्षित लाभ प्राप्त कर सकते हैं।