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प्रश्न :
जलवायु परिवर्तन के कृषि पर पड़ने वाले प्रभावों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
30 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में जलवायु परिवर्तन को संक्षेप में बताएँ।
- तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में कृषि पर पड़ने वाले इसके प्रभावों का आलोचनात्मक परीक्षण करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त और सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
जलवायु परिवर्तन ने मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है और कृषि क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। इस संबंध में हुए शोध दर्शाते हैं कि फसलीय अवधि में मौसमी पैरामीटर, अन्य पैरामीटरों यथा- मृदा, पोषक तत्त्व आदि की तुलना में कृषि उपज को सर्वाधिक प्रभावित करते हैं। जलवायु परिवर्तन का कृषि पर पड़ने वाले प्रभावों को हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं-
- जलवायु परिवर्तन बाढ़ एवं सूखे के जोखिमों को अत्यधिक बढ़ाता है। भारतीय कृषि को इन समस्याओं का विशेष रूप से सामना करना पड़ रहा है। भारत में लगभग 54 प्रतिशत कृषि क्षेत्र मानसूनी वर्षा पर निर्भर है। अतः एल-नीनो के कारण मानसून में उतार-चढ़ाव की स्थिति इन क्षेत्रों की कृषि को गहरे स्तर पर दुष्प्रभावित करती है।
- अत्यधिक वर्षा मृदा अपरदन को बढ़ाती है, जिससे मृदा की उत्पादकता प्रभावित होती है।
- कम वर्षा के कारण भूमिगत जल का अतिशय प्रयोग होता है जो भूमिगत जल के स्तर को कम करता है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री जल-स्तर में वृद्धि होती है। परिणामस्वरूप तटीय इलाकों की भूमि जलमग्न होती है और जलस्रोतों का खारापन भी बढ़ता है।
- तापमान में वृद्धि फसल पैटर्न में परिवर्तन लाती है। इससे उत्पादकता दुष्प्रभावित होती है।
- बाढ़ के कारण कृष्यभूमि की लवणता में वृद्धि होती है।
- अम्ल वर्षा के कारण केंचुआ सहित कई किसान मित्र जीवों का स्वास्थ्य दुष्प्रभावित होता है जो अंततः भूमि की उत्पादकता को बुरी तरह प्रभावित करता है।
- जलवायु परिवर्तन मवेशियों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। इससे पशुधन पर दबाव बढ़ता है जो दुग्ध उत्पादन सहित अन्य पशु उत्पादों में भी कमी लाता है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवाती तीव्रता में भी वृद्धि होती है जो तटीय क्षेत्रों में कृषि और कृषकों के हितों को दुष्प्रभावित करता है।
जलवायु परिवर्तन की समस्या से लड़ने हेतु कृषि को सक्षम बनाने के लिये सरकार द्वारा भी कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जैसे- राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन, राष्ट्रीय जल मिशन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आदि। तथापि इस दिशा में और भी कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए जाने की आवश्यकता है जिनमें क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज़्म और क्लीन टेक्नोलॉजी को अपनाना महत्त्वपूर्ण है।
उपरोक्त चर्चा के आधार पर स्पष्टतः यह कहा जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन कृषि व खाद्य सुरक्षा के लिये एक कठिन चुनौती उत्पन्न कर रहा है। यह भारत के लिये और बड़ी चुनौती है क्योंकि देश की लगभग दो तिहाई जनसंख्या कृषि पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आश्रित है। अतः भारत में कृषि को लाभकारी बनाए बिना देश का समावेशी विकास संभव नहीं है।
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