कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की निर्धारक शक्ति रही है। भारतीय बजट में कृषि में सुधार हेतु किये गए प्रावधान कृषि संबंधित समस्याओं के समाधान में कितने सहायक हैं? चर्चा करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये कृषि क्षेत्र के महत्त्व को दर्शाएँ।
- तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में कृषि संबंधी समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए बताएँ कि बजट में किये गए प्रावधान इन समस्याओं के समाधान के लिये कितने सहायक हैं।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त और सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
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कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का आधारभूत स्तंभ है। यह क्षेत्र न केवल भारत की जीडीपी में लगभग 15% का योगदान करता है बल्कि भारत की लगभग आधी जनसंख्या रोज़गार के लिये कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर है। यह क्षेत्र द्वितीयक उद्योगों के लिये प्राथमिक उत्पाद भी उपलब्ध करवाता है।
किंतु वर्तमान समय में भारतीय कृषि क्षेत्र कई समस्याओं से जूझ रहा है। सिंचाई संबंधी सुविधाओं के अभाव के कारण मानसून पर निर्भरता, कृषि तथा किसानों की आय में कमी, छोटे एवं सीमांत जोत की समस्या, बाज़ार एवं अवसंरचना की अनुपलब्धता, प्रौद्योगिकी तथा तकनीक का अभाव, व्यावसायिक भावना का अभाव, जलवायु परिवर्तन तथा रासायनिक खादों के प्रयोग के कारण धारणीय कृषि से संबंधित समस्या भारतीय कृषि क्षेत्र में देखी जा सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्त्व को देखते हुए 2017-18 के बजट में इन समस्याओं के समाधान हेतु कई प्रयास किये गए हैं। इसे निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-
- कृषि क्षेत्र में सिंचाई संबंधी समस्याओं के निवारण के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में हर खेत को पानी की संकल्पना के तहत सिंचाई से वंचित 96 ज़िलों में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की बात की गई है। इसके अलावा नाबार्ड द्वारा सिंचाई हेतु समर्पित सिंचाई कोष बनाने की बात की गई है। कृषि क्षेत्र में कृषकों की लाभप्रदता को बढ़ाने के लिये आगामी खरीफ सीज़न से सभी अधिसूचित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत के कम-से-कम डेढ़ गुना करने का फैसला लिया गया है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और लोग खेती करने के लिये प्रोत्साहित होंगे।
- कृषि से संबंधित बाज़ार की समस्या के समाधान के लिये 585 मंडियों को ई-नैम योजना के तहत एकीकृत करने की बात की गई है इसके अलावा 22,000 ग्रामीण मंडियों को ग्रामीण कृषि बाज़ारों के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। क्षेत्र में अवसंरचना विकास हेतु दो करोड़ रूपए की निधि के साथ एक कृषि बाज़ार अवसंरचना कोष की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चरण-3 के द्वारा गाँवों को सभी मौसम में प्रयोग लाई जाने वाली सड़कों से जोड़ने पर भी बल दिया जा रहा है।
- कृषि क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ाने के लिये भी महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गए हैं। मेगा फूड पार्कों के अलावा कृषि उत्पादों के लिये प्रसिद्ध ज़िलों को क्लस्टर के रूप में विकसित किये जाने की योजना है। इसके अलावा किसान उत्पादक संगठन और कृषि संभार तंत्र तथा प्रसंस्करण सुविधा एवं व्यावसायिक प्रबंधन को अपनाने के लिये ‘ऑपरेशन फ्लड की तर्ज पर ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ को शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
- कृषि क्षेत्र में छिपी बेरोज़गारी की समस्या के समाधान के लिये कृषि संबंधित लघु एवं कुटीर उद्योग के विकास पर बल दिया गया है। इसके तहत मत्स्यिकी एवं पशुपालन से जुड़े किसानों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान करने की बात की गई है। इसके अलावा मत्स्यिकी तथा पशुपालन क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विकास हेतु ‘मत्स्य क्रांति अवसंरचना विकास कोष’ तथा ‘पशुपालन हेतु आधारभूत सुविधा विकास कोष’ का निर्माण किया गया है। पुष्पों की खेती के साथ-साथ इत्र उत्पादन जैसे लघु उद्योगों पर भी बल दिया गया है।
- वहीं धारणीय कृषि को बढ़ावा देने के लिये जैविक कृषि पर बल दिया जा रहा है। इसके तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के तहत समूह में जैविक कृषि विधि अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
स्पष्ट है कि बजट 2017-18 में किये गए प्रावधान कृषि संबंधी अधिकांश समस्याओं को हल करने में सहायक हैं। ज़रूरत इनके कुशल क्रियान्वयन की है। इसके लिये एक एकीकृत नीति बनाए जाने की आवश्यकता है।