आरक्षण हमेशा से एक विवादित विषय रहा है। वर्तमान में पदोन्नति में एससी/एसटी को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की व्यवहार्यता का परीक्षण करें।
उत्तर :
भूमिका में :-
एक विवादित विषय के रूप में आरक्षण पर संक्षिप्त चर्चा के साथ पदोन्नति में एससी/एसटी को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले की चर्चा करते हुए उत्तर प्रारंभ करें।
विषय-वस्तु में :-
पदोन्नति में आरक्षण मामले की पृष्ठभूमि पर संक्षेप में चर्चा करते हुए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के प्रमुख बिंदुओं को लिखें, जैसे :
पृष्ठभूमि में :
- 16 नवंबर, 1992 को इंदिरा साहनी मामले में ओबीसी आरक्षण पर फ़ैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी को प्रमोशन में दिये जा रहे आरक्षण पर सवाल उठाए थे और इसे पाँच साल के लिये ही लागू रखने का आदेश दिया था।
- 1995 में संसद ने 77वाँ संविधान संशोधन पारित करके पदोन्नति में आरक्षण को जारी रखा।
- यह स्थिति नागराज और अन्य बनाम भारत सरकार मुक़दमे पर सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फ़ैसले के बाद बदल गई।
- इस फैसले में संवैधानिक पीठ ने एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिये जाने के लिये उनके पिछड़ेपन पर उनकी जनसंख्या के आँकड़े, सरकारी नौकरियों में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में तथ्य और समग्र प्रशासनिक दक्षता पर जानकारी राज्य सरकारों द्वारा मुहैया कराए जाने की शर्तें तय की थीं।
निर्णय के प्रमुख बिंदुओं में :
- हालिया निर्णय में न्यायालय ने सरकार को आँकड़े जुटाए जाने की शर्त से राहत प्रदान करते हुए पदोन्नति में आरक्षण को जारी रखा है।
- हालाँकि पीठ ने 2006 के अपने फैसले में तय की गई उन दो शर्तों पर टिप्पणी नहीं की जो पदोन्नति में एससी-एसटी के प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता और प्रशासनिक दक्षता को नकारात्मक तौर पर प्रभावित नहीं करने से जुड़े थे।
उपर्युक्त बिंदुओं का बारीकी से अध्ययन करते हुए संक्षिप्त विश्लेषण करें।
द्वितीय पैराग्राफ में इस निर्णय की व्यवहार्यता का परीक्षण करें। इसमें दोनों पक्षों के निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल किया जा सकता है, जैसे :
सकारात्मक पक्ष
- पदोन्नति में आरक्षण से वंचित वर्गों को भी प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा।
- सरकारी नौकरियों में उच्च पदों पर होने से प्रशासनिक भागीदारी बढ़ेगी आदि।
नकारात्मक पक्ष
- सुप्रीम कोर्ट की नज़र में वंचित वर्ग (एससी/एसटी, महिला) हमेशा से ही शोषित रहा है, अतः आरक्षण के माध्यम से इन्हें सशक्त करने का प्रयास किया जाता है लेकिन आरक्षण का लाभ उठाकर सशक्त हुए लोग अन्य लोगों को आगे नहीं आने देते।
समाधान :
संसद द्वारा क़ानून बनाकर ओबीसी की तरह ही एससी/एसटी में भी क्रीमीलेयर को लागू करना चाहिये ताकि आरक्षण का लाभ पाकर सशक्त हुए लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर कर वास्तविक लाभार्थी तक इसका लाभ पहुँच सके।
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष में समाधान के उपर्युक्त तर्क को लिख सकते हैं।
नोट : निर्धारित शब्द-सीमा में विश्लेषित करके लिखें।