न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है? इसका निर्धारण कैसे होता है? सरकार द्वारा हाल ही में खरीफ फसलों के एमएसपी बढ़ाने से किसानों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों और उनके समाधानों की चर्चा करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को स्पष्ट करें।
09 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा
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न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि मूल्य में किसी भी तेज़ गिरावट के खिलाफ कृषि उत्पादकों को सुरक्षा प्रदान करने हेतु भारत सरकार द्वारा किया जाने वाला बाज़ार हस्तक्षेप का एक रूप है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर कुछ फसलों की बुवाई के मौसम की शुरुआत में भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को बिक्री की चिंताओं से राहत प्रदान करना और सार्वजनिक वितरण के लिये अनाजों की खरीद करना है।
विभिन्न वस्तुओं की मूल्य नीति की सिफारिश करते समय कृषि लागत और मूल्य आयोग 2009 में निर्धारित की गई विभिन्न शर्तों (टीओआर) को ध्यान में रखता है। तदनुसार, यह विश्लेषण करता है-
हाल ही में केंद्र सरकार ने 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की घोषणा की है। इसमें पिछले वर्ष के न्यूनतम समर्थन मूल्य की तुलना में उड़द के लिये 3.70% की मामूली वृद्धि से लेकर रागी के लिये 52.5% तक की वृद्धि भी शामिल है। कृषि लागत और मूल्य आयोग ने इस वर्ष के बजट में घोषित कृषि क्षेत्र की रणनीति के अनुरूप इस लागत-प्लस-50% सिद्धांत से प्रेरित होकर यह निर्णय लिया है।
यह देखते हुए कि एमएसपी मुख्य रूप से गेहूँ और धान के लिये आधिकारिक खरीद के माध्यम से लागू किया जाता है, अन्य फसलों के लिये मात्र कीमतों की घोषणा किसानों को यह सुनिश्चित करने में पर्याप्त नहीं है कि वे उन लाभों को प्राप्त कर सकें। यह अनुमान लगाते हुए बजट में वादा किया गया था कि नीति आयोग केंद्र और राज्यों के साथ एक सुव्यवस्थित प्रणाली स्थापित करने के लिये काम करेगा ताकि किसानों को एमएसपी के नीचे गिरने पर पर्याप्त पारिश्रमिक मिल सके। यह सरकारी खरीद या अंतर-वित्तपोषण तंत्र के माध्यम से संभव हो सकता है जिसके तहत एमएसपी और बाज़ार की कीमतों के बीच अंतर, किसानों को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से भारत को अपना आयात बिल घटाने में भी मदद मिलेगी। पोषक अनाजों के न्यूनतम मूल्य वृद्धि से पोषण सुरक्षा और किसानों की आय में सुधार होगा।