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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    “बढ़ती गैर-निष्पादनकारी सम्पत्तियाँ सार्वजनिक क्षेत्रों की लाभप्रदता तो कम कर ही रही हैं, सरकार पर भी इनके पूंजीकरण का दबाव बढ़ रहा है”। क्या बैंकों का विलय इस समस्या का बेहतर समाधान हो सकता है? तर्क सहित उत्तर दें।

    10 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में बैंकों के विलय द्वारा इस समस्या के बेहतर समाधान को तर्क सहित समझाएँ।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    हाल के वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर-निष्पादनकारी संपत्तियों का स्तर कुल अग्रिमों का 14.5% हो गया है, जो न केवल बैंकों की साख पर प्रश्नचिह्न लगाता है और उनके लाभों को घटाता है, बल्कि इससे सरकार पर इनके पूंजीकरण का दबाव भी बढ़ा है। जिसका उदाहरण हाल में सरकार द्वारा 13 PSB (Public Sector Bank) को दिये गए लगभग 23 हज़ार करोड़ के संदर्भ में देखा जा सकता है।

    सरकार द्वारा SBI में उसके 5 सहयोगी बैंकों के विलय को इस समस्या के समाधान के रूप में देखा जा रहा है। बैकों का विलय निम्न प्रकार से उपर्युक्त समस्या के समाधान में सहयोगी हो सकता है-

    • विलय से व्यापार करने की लागत में कमी आएगी।
    • तकनीकी अक्षमता वर्तमान में बैंकिंग संकट के लिये प्रमुख ज़िम्मेदार कारकों में से एक है। तकनीकी अक्षमता छोटे बैंकों में अधिक है।
    • विलय से बैंकों की दक्षता में सुधार आएगा, जो इन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप परिवर्तन लाने में सहयोग करेगा।
    • एक बेहतर और अधिकतम आकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अधिक-से-अधिक उत्पादों और सेवाओं की पेशकश में मदद करेगा, साथ ही मानकों में सुधार करने में मदद करेगा। 
    • विलय से बैंक आसानी से तरलता को सुनिश्चित कर पाएंगे।
    • यह बैंकों के मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाएगा।
    • बैंकिंग प्रणाली में अधिक पारदर्शिता आएगी व उनका उत्तरदायित्व बढ़ेगा।
    • विलय, जोखिम प्रबंधन को कम कर सकता है।

    इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विलय से बैंकों की क्षमता बढ़ने व संसाधनों की अधिकता से न केवल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों को प्रभावी रूप से कम किया जा सकेगा अपितु सरकार पर बार-बार पड़ने वाले पूंजीकरण के दबाव को भी कम किया जा सकेगा। हालाँकि इसमें कुछ चुनौतियाँ है; जैसे- पर्याप्त प्रशिक्षित श्रम बल का अभाव, तकनीकी कमी, प्रबंधन के मध्य झगड़े, छोटे बैंकों की समस्याएँ बड़े बैंक को स्थानांतरित करना, केवाईसी को प्रभावी रूप से फॉलो न करना आदि जिन्हें तत्काल दूर किया जाना आवश्यक है।

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