“भारत में औद्योगिक विकास पर्यावरण सुरक्षा की कीमत पर हो रहा है जो सतत् विकास की अवधारणा के प्रतिकूल है।” तर्क सहित व्याख्या करें।
16 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा
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आधुनिक युग में, पर्यावरण एक महत्त्वपूर्ण चिंता के क्षेत्र के रूप में उभरकर सामने आया है। विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में प्रदूषण एक महत्त्वपूर्ण खतरे के रूप में उभरा है। भारत में आर्थिक विकास की बढ़ती गतिविधियों के साथ पर्यावरणीय अवक्रमण (Degradation) को देखा जा सकता है।
भारत विशाल जनसंख्या वाला देश है जिसकी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ती हेतु विभिन्न औद्योगिक इकाइयों का विकास किया जा रहा है जिसके फलस्वरूप उत्पादन गतिविधियों में तो तीव्र वृद्धि हुई है लेकिन प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ा है जिसने पर्यावरणीय संवेदनशीलता को बढ़ाया है। भारत की ‘राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद’ के अनुसार पर्यावरणीय नुकसान की कीमत लगभग 32 अरब डॉलर है। लगातार आर्थिक विकास के साथ भारत विशाल वैस्टलैंड के रूप में बदल रहा है जिसको भूमि क्षरण और मिट्टी का कटाव, वनों की कटाई, प्रदूषण, आवासों का विनाश, जल जमाव और पारिस्थितिक क्षरण आदि के रूप में देखा जा सकता है।
यदि भारत में औद्योगिक विकास को पर्यावरणीय अवक्रमण के रूप में देखें तो इसके कारण निम्न हैं:
उपरोक्त का ही परिणाम है कि आज औद्योगिक क्षेत्र पर्यावरणीय अवक्रमण का प्रमुख कारण बन गया है। इसी संदर्भ में सतत् विकास, जिसके अंतर्गत संसाधनों का इस तरह प्रयोग किया जाता है ताकि वर्तमान आवश्यकताओं के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं से समझौता न किया जाए, एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता बनकर उभरा है।
औद्योगिक विकास को सतत् विकास का आधार बनाने के लिये भारत के औद्योगिक क्षेत्र को आधुनिक मानकों का प्रयोग करना होगा जिसके अंतर्गत आधुनिक तकनीक, जैव निम्नीकरणीय उत्पादों को बढ़ावा, रिसाइक्लिंग की उचित व्यवस्था, अपशिष्ट निपटान तंत्र का निर्माण आदि शामिल हैं।
अतः कहा जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण आदि से ग्रसित विश्व में सतत् विकास हमारी अनिवार्यता है, जिसको सुनिश्चित कर हम एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।