लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सतत् पोषणीय विकास की संकल्पना को परिभाषित करते हुए इसे बढ़ावा देने वाले उपायों की चर्चा करें।

    17 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में सतत् पोषणीय विकास का अर्थ स्पष्ट करें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में सतत् पोषणीय विकास की आवश्यकता एवं उसे बनाए रखने के उपायों की चर्चा करें।

    साधारणतया ‘विकास’ शब्द से अभिप्राय समाज विशेष की स्थिति और उसके द्वारा अनुभव किये गए परिवर्तन की प्रक्रिया से होता है। विकास की संकल्पना गतिक है और इस संकल्पना का प्रादुर्भाव 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ है। द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत विकास की संकल्पना आर्थिक वृद्धि की पर्याय थी जिसे सकल राष्ट्रीय उत्पाद, प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति उपभोग में समय के साथ बढ़ोतरी के रूप में मापा जाता है।

    1960 के दशक के अंत में पश्चिमी दुनिया में पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर बढ़ती जागरूकता की सामान्य वृद्धि के कारण सतत् पोषण की धारणा का विकास हुआ। विश्व पर्यावरण और विकास आयोग ने सतत् पोषणीय विकास की सीधी-सरल और वृहद् स्तर पर प्रयुक्त परिभाषा प्रस्तुत की। इसके अनुसार सतत् पोषणीय विकास का अर्थ है- ‘एक ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किये बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना।’

    एडवर्ड बारबियर ने सतत् विकास की परिभाषा बुनियादी स्तर पर गरीबों के जीवन के भौतिक मानकों को ऊँचा उठाने के सदंर्भ मे दी है जिसे आय, वास्तविक आय, शैक्षणिक सेवाएँ, स्वास्थ्य देखभाल, सफाई, जलापूर्ति इत्यादि को परिमाणात्मक रूप से मापा जा सकता है। अधिक स्पष्ट शब्दों में हम कह सकते हैं कि सतत् विकास का लक्ष्य गरीबों की समग्र दरिद्रता को कम करके उन्हें चिरस्थायी व सुरक्षित जीविका निर्वाह साधन प्रदान करना है जिससे संसाधन अपक्षय, पर्यावरण अपक्षय, सांस्कृतिक विघटन और सामाजिक अस्थिरता न्यूनतम हो। इस अर्थ में सतत् विकास का अर्थ उस विकास से है जो सभी की, विशेष रूप से बहुसंख्यक निर्धनों की बुनियादी आवश्यकताओं जैसे- रोजगार, भोजन, ऊर्जा, जल, आवास आदि की पूर्ति करे और इन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कृषि, विनिर्माण, बिजली और सेवाओं की वृद्धि सुनिश्चित करे।

    बर्टलैंड कमीशन ने भावी पीढ़ी को संरक्षित करने पर ज़ोर दिया। यह पर्यावरणविदों के उस तर्क के अनुकूल है, जिसमें उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम भावी पीढ़ी को एक व्यवस्थित भूमंडल प्रदान करें। दूसरे शब्दों में वर्तमान पीढ़ी को आगामी पीढ़ी द्वारा एक बेहतर पर्यावरण उत्तराधिकार के रूप में सौंपा जाना चाहिये। वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है कि ऐसी नीतियों एवं तकनीक का संवर्द्धन करे जो विकास और पर्यावरण के बीच सामंजस्य स्थापित करे तथा प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करे।

    सतत् विकास की प्राप्ति के लिये निम्नलिखित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है:

    • मानव जनसंख्या को पर्यावरण की धारण क्षमता के स्तर तक सीमित करना होगा। 
    • प्रौद्योगिकी प्रगति आगत-निपुण हो, न कि आगत उपभोगी। 
    • नवीकरणीय संसाधनों का निष्कर्षण सतत् आधार पर हो ताकि किसी भी स्थिति में निष्कर्षण की दर पुनर्सृजन की दर से अधिक न हो।
    • गैर-नवीकरणीय संसाधनों की अपक्षय दर नवीनीकृत प्रतिस्थापकों से अधिक नहीं होनी चाहिये।
    • प्रदूषण के कारण उत्पन्न अक्षमताओं का सुधार किया जाना चाहिये।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2