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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    निर्यात की मात्रा विभिन्न आंतरिक एवं अंतर्राष्ट्रीय कारकों से प्रभावित होती है। इस संदर्भ में भारत सरकार द्वारा

    20 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा: 

    • निर्यात संवर्द्धन क्या है?
    • इसकी आवश्यकता क्यों है?
    • सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करें। 
    • इन उपायों की कमियों व चुनौतियों का उल्लेख करते हुए सुझाव दें। 

    वैश्वीकरण के वर्तमान युग में राष्ट्रों के मध्य आयात-निर्यात अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अनेक आंतरिक एवं बाह्य कारकों से प्रभावित होता है जिसमें सरकारी नीति राष्ट्रीय आय मुद्रास्फीति, उत्पादन दक्षता, अनुदान, विनिमय दर,आयातक देश द्वारा लगाए गए प्रतिबंध आदि शामिल हैं। 

    भारत सरकार उदारीकरण के बाद लगातार निर्यात को बढ़ाने के लिये प्रयासरत रही है। जिसके अंतर्गत निम्न प्रयास किये गए हैं:

    • विनिर्माण और सेवा निर्यात पर केंद्रित नई विदेश व्यापार नीति (2015-2020) को जारी किया गया। 
    • भारत से व्यापार निर्यात योजना तथा सेवा निर्यात योजना को विदेशी व्यापार नीति में शुरू किया गया है। 
    • सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों की क्षमताओं के दोहन के लिये निर्यात बंधु योजना।
    • व्यापार सुविधा और ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा देने के लिये अनिवार्य डॉक्यूमेंट्स की संख्या घटाकर 3 की गई है और सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है। 
    • निर्यात हेतु सस्ता क्रेडिट प्रदान करने के लिये पूर्व और बाद शिपमेंट क्रेडिट पर ब्याज समकारी योजना। 
    • अग्रिम अनुज्ञा शुल्क मुक्त निर्यात अनुज्ञा, निर्यात संवर्द्धन पूंजीगत वस्तुएँ और शुल्क पुनः प्राप्ति जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकार शुल्क मुक्त कच्चा माल और पूंजीगत वस्तुओं तक पहुँच की सुविधा उपलब्ध करा रही है। 
    • इसके अलावा स्पेशल इकॉनमिक जोन मेक इन इंडिया आदि प्रयास किये गए हैं। 
    • इन सब प्रयासों के बाद भी भारत की वैश्विक व्यापार में भागीदारी मात्र 1-6% है। 

    इसका कारण हैः

    • राजनीतिकः विधायीनियामक दबाव, सरकारी नीतियों का कमजोर क्रियान्वयन, भ्रष्टाचार।
    • सामाजिकः उच्च आबादी, लिंग असमानता,अशिक्षा, गरीबी। 
    • अवसंरचनाः कमज़ोर परिवहन और माल भंडारण,ऊर्जा। 
    • किफायतीः अकुशल मानव संसाधन की सीमाएँ।
    • तकनीकीः परंपरागत, अनुसंधान और विकास की कमी। 
    • बाह्य कारकः कमज़ोर वैश्विक मांग, वैश्विक मुद्रा विनिमय अस्थिरता, प्रतिस्पर्द्धा, आयातक देशों द्वारा प्रतिबंध।

    अतः सरकार ने निर्यात के क्षेत्र में बेहतर प्रयास किये हैं किंतु उपर्युक्त कमियों को ध्यान में रखते हुए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है। इसके लिये कौशल प्रदान करने वाली शिक्षा, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक प्रयोग, मुक्त व्यापार समझौता का प्रभावी क्रियान्वयन आदि प्रयास किये जाने चाहिये। यद्यपि सरकार ने इन कमियों को दूर करने के लिये कौशल विकास योजनाए, डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम शुरू किये हैं, जिनका उचित और समय पर क्रियान्वयन आवश्यक है। तभी 2020 तक वैश्विक व्यापार में 5% भागीदारी के सर्कार के लक्ष्य की प्राप्ति हो सकेगी। 

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