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प्रश्न :
भूमि को पट्टे पर देने के संबंध में नीति आयोग द्वारा जारी मॉडल कानून का सविस्तार उल्लेख कीजिये। किराये पर कृषि कार्य करने वाले किसानों तथा कृषि के विकास में इस मॉडल कानून का क्या प्रभाव पड़ेगा?
23 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- भूमि को पट्टे पर देने संबंधी नीति आयोग द्वारा जारी मॉडल कानून क्या है ?
- प्रवधानों की चर्चा करें।
- इससे कृषि विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा करें।
भूमि को पट्टे पर देने के संबंध में (Land Leasing) में नीति आयोग द्वारा एक मॉडल कानून जारी किया गया है। इस मॉडल कानून में पट्टे को वैधानिक दर्ज़ा प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गया है, ताकि पट्टे पर भूमि लेने वाले किसान का शोषण न किया जा सके। साथ ही पट्टे को वैधानिक दर्ज़ा प्राप्त होने से किसान ज़मीन में समुचित निवेश भी कर सकेंगे।
ज्ञातव्य है कि भारत में तकरीबन 85 प्रतिशत किसान सीमांत हैं। इसी प्रकार, अधिकांश भूमिहीन कृषक दूसरे के खेतों पर बटाई का काम करते हैं। इस मॉडल कानून के लागू होने से सीमांत किसान बड़े किसानों से भूमि किराये पर लेकर अपनी जोत का आकार बढ़ा सकेंगे जिससे निश्चित तौर पर उनकी आय में वृद्धि होगी। इस मॉडल कानून को प्रत्येक राज्य के द्वारा लागू करना आवश्यक होगा।
पट्टे पर भूमि देने के संबंध में नीति आयोग के इस मॉडल कानून का किसानों एवं कृषि पर प्रभाव:
- इस मॉडल कानून से किसानों को पट्टे पर ली गई भूमि पर निश्चित समय तक वैधानिक अधिकार प्राप्त होगा। साथ ही भूमि मालिकों के हितों का भी संरक्षण संभव होगा क्योंकि पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद जमीन अपने वास्तविक स्वामी के अधीन आ जाएगी।
- किरायेदार कृषक को पट्टे पर ली गई जमीन के एवज में बैंक से संस्थागत ऋण की सुविधा प्राप्त होगी।
- भूमि मालिक निश्चिन्तहोकर अपनी जमीन को किराये पर उठा सकेंगे तथा स्वयं अन्य व्यवसाय कर सकेंगे। इससे भूमि की गतिशीलता में वृद्धि होगी।
- इस मॉडल कानून के लागू होने से कृषि की उत्पादकता में भी बढ़ोतरी होगी क्योंकि किसान पट्टे पर भूमि लेकर अपनी जोत का आकार बढ़ा सकेंगे। ज्ञातव्य है कि बड़ी जोत पर मशीनों का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है, जो छोटी जोत में संभव नहीं है।
- चूँकि किसानों को एक निश्चित अवधि के लिये भूमि प्राप्त हो सकेगी अतः किसान भूमि पर निवेश भी कर सकेंगे। इससे भूमि सुधार की प्रक्रिया को भी बल मिलेगा।
- इस मॉडल कानून के लागू होने से किसानों के खतरों एवं सुभेद्यता (Risk and Vulnerabilities) में कमी आएगी तथा किसानों एवं भूमि मालिकों को समान स्तर प्राप्त होगा।
निष्कर्ष
अतः यह कहा जा सकता है कि नीति आयोग का मॉडल कानून एक प्रगतिशील पहल है। यह पहल किसानों के हितों के अनुकूल होने के साथ-साथ कृषि के विकास में भी मददगार है।
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