नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    बेहतर कार्पोरेट अनुपालन हेतु कंपनी अधिनियम, 2013 के दंड विषयक प्रावधानों की समीक्षा के लिये गठित समिति के सुझावों की स्पष्ट चर्चा कीजिये।

    29 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में गठित समिति के विषय में लिखें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में समिति द्वारा प्रस्तुत सुझावों की चर्चा करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    बेहतर कॉर्पोरेट अनुपालन हेतु कॉर्पोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता में गठित समिति ने कंपनी अधिनियम, 2013 के दंड विषयक प्रावधानों की समीक्षा करते हुए अपनी अंतिम रिपोर्ट में कुछ सुझाव प्रस्तुत किये हैं, जो कि निम्नलिखित हैं - 

    • इस रिपोर्ट में उन सभी दंड विषयक प्रावधानों का विस्तृत विश्लेषण है, जिन्हें अपराधों की प्रकृति के आधार पर उस समय आठ श्रेणियों में बाँट दिया गया था।
    • समिति ने सिफारिश की है कि उक्त में से छह श्रेणियों के गंभीर अपराधों के लिये वर्तमान कठोर कानून जारी रहना चाहिये, जबकि दो श्रेणियों- तकनीकी अथवा प्रक्रियात्मक खामियों के अंतर्गत आने वाले अपराधों का निर्णय आंतरिक प्रक्रिया द्वारा किया जाना चाहिये। उल्लेखनीय है कि कॉरपोरेट धोखेबाजी से जुड़ा अनुच्छेद 447 उन मामलों पर लागू रहेगा, जहाँ धोखेबाजी पाई गई है।
    • राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) को न्यायाधिकरण के समक्ष मौजूद शमनीय अपराधों की संख्या में पर्याप्त कटौती के ज़रिये मुक्त करने की सिफारिश की गई है।
    • 81 शमनीय अपराधों में से 16 को विशेष अदालतों के अधिकार क्षेत्र से हटाकर आंतरिक ई-निर्णय के लिये अपराधों की नई श्रेणियाँ बनाने (ताकि अधिकृत निर्णय अधिकारी (कंपनियों के रजिस्ट्रार) गलती करने वालों पर दंड लगा सके) का सुझाव दिया गया है।
    • जबकि शेष 65 शमनीय अपराध अपने संभावित दुरुपयोग के कारण विशेष अदालतों के अधिकार क्षेत्र में ही रहेंगे।
    • इसी प्रकार गंभीर कॉरपोरेट अपराधों से जुड़े सभी अशमनीय अपराधों के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने तथा फैसलों का ई-निर्णय एवं ई-प्रकाशन करने के लिये पारदर्शी ऑनलाइन मंच तैयार करने की सिफारिश की गई है।
    • इसके अलावा रिपोर्ट में कॉरपोरेट शासन प्रणाली जैसे कि व्यवसाय शुरू करने की घोषणा, पंजीकृत कार्यालय का संरक्षण, जमाकर्त्ताओं के हितों की रक्षा, पंजीकरण और शुल्क प्रबंधन, हितकारी स्वामित्व की घोषणा और स्वतंत्र निदेशकों की स्वतंत्रता से जुड़ी कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को शामिल किया गया है।
    • समिति द्वारा प्रस्तुत सुझावों के अनुसार सार्वजनिक जमा के संबंध में विशेष रूप से सार्वजनिक हितों के दुरुपयोग और नुकसान को रोकने के लिये अधिनियम की धारा 76 के तहत सार्वजनिक जमा की परिभाषा से मुक्त लेनदेन के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदत्त की जानी चाहिये।
    • इसके अतिरिक्त एक बार जब कंपनी महत्त्वपूर्ण लाभकारी स्वामित्व से संबंधित धारा 90 (7) के तहत प्रतिबंध प्राप्त करती है, तो शेयरों के स्वामित्व की अनिश्चितता की स्थिति में (यदि सही मालिक इस तरह के प्रतिबंधों के एक वर्ष के भीतर स्वामित्व का दावा नहीं करता है) ऐसे शेयरों को निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष में स्थानांतरित किया जाना चाहिये।
    • NCLT को मुक्त करने के लिये समिति ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 441 के तहत अपराधों के परिसंचरण के लिये क्षेत्रीय निदेशक के क्षेत्राधिकार को बढ़ाने का सुझाव दिया है।
    • समिति द्वारा सृजन, सुधार और लेनदार के अधिकार से जुड़े दस्तावेजों को भरने के लिये समय-सीमा में भारी कटौती तथा जानकारी नहीं देने की स्थिति में कड़े दंड के प्रावधान का सुझाव दिया गया है। 

    गौरतलब है कि समिति के सुझावों का अनुपालन करने से ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस और कॉरपोरेट के बेहतर अनुपालन को बढ़ावा देने के दोहरे मकसद को पूरा किया जा सकेगा। इससे विशेष अदालतों में दायर मुकदमों की संख्या भी कम होगी, परिणामस्वरूप गंभीर अपराधों का तेज़ी से निपटारा होगा और गंभीर अपराध में लिप्त अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज हो सकेगा।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow