गगनयान मिशन वैश्विक स्तर पर भारत की तकनीकी साख को बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इसके उद्देश्यों की चर्चा करते हुए विवरण स्पष्ट करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करें।
- तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में मिशन के उद्देश्यों तथा विवरण की चर्चा करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
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प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन के दौरान ‘गगनयान-भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम’ की घोषणा की थी। इसी संदर्भ में इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. शिवान ने कहा कि इसरो इस कार्य को तय समयावधि में पूरा करने में सक्षम है। यह एक राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें कई संस्थान, अकादमिक और उद्योग शामिल हैं। मिशन का उद्देश्य पाँच से सात वर्षों के लिये अंतरिक्ष में तीन सदस्यों का एक दल भेजना है।
गौरतलब है कि यह कार्यक्रम देश के प्रौद्योगिकी विकास के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी तकनीकी साख को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम के साथ भारत मानव अंतरिक्ष यान मिशन शुरू करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। उल्लेखनीय है कि अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने मानव अंतरिक्ष यान मिशन शुरू किया है। इसरो के अनुसार यह अब तक का सबसे महत्त्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम है।
विवरण :
- इसरो ने इस कार्यक्रम के लिये आवश्यक पुन: प्रवेश मिशन क्षमता, क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल कॉन्फ़िगरेशन, तापीय संरक्षण व्यवस्था, मंदन एवं प्रवर्तन व्यवस्था, जीवन रक्षक व्यवस्था की उप-प्रणाली इत्यादि जैसी कुछ महत्त्वपूर्ण तकनीकों का विकास कर लिया है।
- इन प्रौद्योगिकियों में से कुछ को अंतरिक्ष कैप्सूल रिकवरी प्रयोग (SRE-2007), क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुन: प्रवेश प्रयोग (CARE-2014) और पैड एबॉर्ट टेस्ट (2018) के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया है।
- ये प्रौद्योगिकियाँ इसरो को 4 साल की छोटी अवधि में कार्यक्रम के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम बनाएंगी।
- गगनयान को लॉन्च करने के लिये GSLVMK-3 लॉन्च व्हिकल का उपयोग किया जाएगा, जो इस मिशन के लिये आवश्यक पेलोड क्षमता से परिपूर्ण है।
- अंतरिक्ष में मानव भेजने से पहले दो मानव रहित गगनयान मिशनों को भेजा जाएगा।
- 30 महीने के भीतर पहली मानव रहित उड़ान के साथ ही संपूर्ण कार्यक्रम के 2022 से पहले पूरा होने की उम्मीद है।
- इस अंतरिक्ष यान को 300-400 किलोमीटर की निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में रखा जाएगा।
- संपूर्ण कार्यक्रम की लागत 10,000 करोड़ रुपए से कम होगी।
- इसरो के अध्यक्ष ने चन्द्रयान-2 के लॉन्च के विषय में कहा कि अब इसे जनवरी 2019 में लॉन्च किया जाएगा।
- इसरो का लक्ष्य मार्च, 2019 तक 19 मिशनों को लॉन्च करना है।
- उल्लेखनीय है कि इन मिशनों में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिये भी 4 उपग्रह लॉन्च करना शामिल है।
मिशन की सफलता से जहाँ एक ओर देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के स्तर में वृद्धि होगी वहीं दूसरी ओर, यह औद्योगिक विकास में सुधार तथा युवाओं के लिये प्रेरणास्रोत साबित होगा तथा सामाजिक लाभ के लिये प्रौद्योगिकी का विकास तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में सुधार होगा।