संसदीय समितियों से आप क्या समझते हैं? किस प्रकार ये समितियाँ हमारी संसद की कार्य क्षमता बढाती हैं व जवाबदेहिता को सुनिश्चित करती हैं?
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- संसदीय समितियों का आशय
- संसदीय समितियों का महत्त्व
- निष्कर्ष
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संसदीय समितियों से तात्पर्य उस समिति से है, जो सभा द्वारा नियुक्त या निर्वाचित होती है अथवा अध्यक्ष द्वारा निर्देशित की जाती है और अध्यक्ष के निर्देशानुसार कार्य करती है तथा अपना प्रतिवेदन सभा को या अध्यक्ष को प्रस्तुत करती हैं। भारतीय संसद का बहुत सारा काम सभा की समितियों की मदद से पूरा किया जाता है।
संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं- स्थायी और तदर्थ। स्थायी समितियाँ प्रतिवर्ष या समय-समय पर निर्वाचित या नियुक्त की जाती हैं और इनका कार्य कमोबेश निरंतर चलता रहता है। तदर्थ समितियों की नियुक्ति जरूरत पड़ने पर की जाती है तथा अपना कार्य पूरा कर लेने और रिपोर्ट पेश कर देने के पश्चात् ये स्वतः समाप्त हो जाती हैं।
संसदीय समितियों का महत्त्व
- संसदीय समितियाँ प्रस्तावित मुद्दों एवं विधेयकों की जाँच करती हैं ताकि राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर निर्णय करने से पहले संसद भली-भाँति उसके विविध आयामों से अवगत हो।
- ये समितियाँ विधेयकों के संबंध में अनुसंशाएँ और संशोधन कर सकती है, किंतु ये अनुशंसाएँ और संशोधन संसद पर बाध्यकारी नहीं होते हैं।
- ये सरकारी नीतियों का परीक्षण करके उसकी जवाबदेहिता सुनिश्चित करती हैं, जिससे संसद के कार्य में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
- भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों का मांग पर विचार करना और उसके बारे में सदन को सूचित करना।
- संसदीय समितियाँ यह सुनिश्चित करती हैं कि सरकारी धन संसद के निर्णय के अनुरूप ही खर्च हो। ये अपव्यय, हानि और निरर्थक व्यय के मामलों की ओर ध्यान आकर्षित करती हैं।
- सरकारी उपक्रम समिति नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट की जाँच करती है। यह समिति इस बात की भी जाँच करती है कि ये सरकारी उपक्रम कुशलतापूर्वक चलाए जा रहे हैं या नहीं, इनका प्रबंधन ठोस व्यापारिक सिद्धांतों और विवेकपूर्ण वाणिज्यिक प्रक्रियाओं के अनुसार किया जा रहा है या नहीं।
- ये मंत्रालयों और विभागों की वार्षिक रिपोर्ट पर विचार करती हैं और उसकी रिपोर्ट तैयार करती हैं।
स्पष्टतः संसदीय समितियों की कार्यप्रणाली बहुत स्पष्ट है। संसदीय समितियाँ संसद के मर्यादा के अनुरूप ही विभिन्न नीतिगत एवं वित्तीय फैसलों की समीक्षा कर संसद की जवाबदेहिता को सुनिश्चित करने का प्रयास करती हैं।