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प्रश्न :
सांसद निधि योजना का आरंभ सांसदों को एक ऐसा तंत्र उपलब्ध कराए जाने के लिये किया गया था जिसके माध्यम से वे स्थानीय लोगों को सामुदायिक बुनियादी ढाँचा प्रदान करने और विकासकारी कार्यों की सिफ़ारिश कर सकें, लेकिन यह योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। ऐसे में क्या आप मानते हैं कि इस योजना को बंद कर दिया जाए? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करें।
04 Oct, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
भूमिका में :-
प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करते हुए संक्षिप्त भूमिका के साथ उत्तर प्रारंभ करें।
विषय-वस्तु में:
भूमिका से लिंक रखते हुए प्रथम पैराग्राफ में सांसद निधि योजना में भ्रष्टाचार के साक्ष्यों की चर्चा के साथ इस योजना के औचित्य को स्पष्ट करें, जैसे :
भ्रष्टाचार के साक्ष्यों में:
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 2010-11 की अपनी रिपोर्ट में इसके क्रियान्वयन में व्याप्त भ्रष्टाचार का उल्लेख किया था।
- एक तरफ सांसदों को जन-लोकपाल के दायरे में लाने की मांग देश भर में चल रही है, वहीं अनेक सांसदों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले लंबित हैं।
- संसद में आपराधिक छवि वाले सांसदों की संख्या 33 प्रतिशत से ज़्यादा है। वैसे भी यह आम धारणा बन चुकी है कि सांसद निधि भ्रष्टाचार का पोषण करती है।
- कुछ समय पहले एक स्टिंग के ज़रिये कुछ सांसदों को ठेके के लिये कमीशनबाज़ी करते रंगे-हाथों पकड़ा जा चुका है।
- ज़मीनी स्तर पर विकास किये जाने हेतु आवंटित सांसद निधि की रकम आमतौर पर राजनीतिक लाभ के लिये खर्च की जाती है या फिर राजनेताओं द्वारा अपने काम में खर्च की जाती है।
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) सांसद निधि के इस्तेमाल में ठेका-प्रथा और कमीशनखोरी पर अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका है।
- कैग की रिपोर्ट बताती है कि 11 राज्यों में सांसद निधि से प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री राहत कोष को सात करोड़ 37 लाख रुपए किस तरह नियम विरुद्ध दिये गए।
- 14 राज्यों में सांसदों ने एयरकंडीशनर, फर्नीचर खरीदने के अलावा ट्रस्ट के अस्पतालों एवं स्कूलों को किस तरह छह करोड़ रुपए दे दिये। 6 राज्यों में सांसद निधि से सात करोड़ रुपए खर्च कर कुछ गिने-चुने लोगों के नाम पर निर्माण कार्य कराए गए।
- आमतौर पर चुनावी वर्ष में यह निधि दिल खोलकर खर्च की जाती है। जाहिर है, इस निधि का इस्तेमाल राजनीतिक प्रयोजन के लिये अधिक हो रहा है।
योजना का औचित्य:
- पिछले कई वर्षों से सांसद निधि को लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतें आती रही हैं। 2009 में प्रशासनिक सुधार आयोग ने कहा था कि सांसद निधि और विधायक निधि में जिस पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है तथा जिस तरह जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है, उसे देखते हुए इन निधियों की व्यवस्था तत्काल बंद कर देनी चाहिये।
- प्रशासनिक आयोग भी सांसद निधि को समाप्त करने की सिफारिश कर चुका है। आयोग का तर्क है कि सांसदों का काम प्रशासनिक खर्च पर नज़र रखना है, न कि स्थानीय निकायों के काम करना।
- 2008 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने भी सदन में कहा था कि यह योजना तुरंत बंद कर दी जानी चाहिये
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद निधि पर निगरानी रखने के लिये थर्ड पार्टी द्वारा निगरानी रखने का फैसला किया था। लेकिन उसके बाद भी सरकार का आकलन है कि सांसद निधि के इस्तेमाल में पारदर्शिता नहीं है।
- ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक देश के 200 सांसद अपनी विकास निधि का 12 हज़ार करोड़ रुपए नहीं खर्च कर पाए हैं। जिसमें से ज़्यादातर राशि ज़िला एजेंसी या प्राधिकारियों के खाते में पड़ी है।
क्योंकि किसी भी योजना को बंद करने से भ्रष्टाचार ख़त्म नहीं होगा इसलिये प्रथम पैराग्राफ से लिंक रखते हुए दूसरे पैराग्राफ में सुधार के उपायों पर चर्चा करें, जैसे :
- सांसद निधि की ज़िम्मेदारियों को परिभाषित किया जाना चाहिये।
- कार्यों का समान वितरण होना चाहिये।
- योजना के क्रियान्वयन, सर्टिफिकेशन, मासिक रिपोर्ट, प्रगति रिपोर्ट के संबंध में ज़िला प्रशासन की ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिये
- सांसद निधि के प्रोजेक्ट पर कौन-सी कार्यदायी संस्था काम करेगी इसमें भी मतभेद उजागर होने से कार्य प्रभावित होते देखा गया है। इसके लिये राज्य प्रशासन और ज़िला प्रशासन में बेहतर तालमेल स्थापित करना होगा।
- सांसद निधि के अंतर्गत धन जारी होने की प्रक्रिया में भी बदलाव की ज़रूरत है।
- राज्य की क्रियान्वयन एजेंसी का विकास के प्रति संवेदनशील होना भी एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है।
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष में समाधान के उपर्युक्त तर्कों को लिख सकते हैं।
नोट: निर्धारित शब्द-सीमा में उत्तर को विश्लेषित करके लिखें।
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