थम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में प्रतिक्रियात्मक राजनीति के नये स्वरूप के रूप में शुरू हुआ होमरूल लीग आंदोलन 1919 तक आते-आते कमजोर व धीमा पड़ गया था। उन कारणों का उल्लेख कीजिये जिनके चलते इस आंदोलन का अवसान हुआ। साथ ही, उस आंदोलन की उपलब्धियों पर भी चर्चा कीजिये।
13 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासप्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उपस्थित हुई परिस्थितियों, मार्ले-मिण्टो सुधारों के वास्तविक स्वरूप के स्पष्ट होने तथा तिलक और ऐनी बेसेंट की सकारात्मक सोच ने होमरूल लीग आंदोलन की नींव रखी। तिलक और ऐनी बेसेंट ने भारतीयों को स्वशासन की शिक्षा देने, सभी राष्ट्रवादियों को एक उद्देश्य के लिये एकजुट करने तथा राजनीतिक गतिविधियों को जीवन्त करने के लिये क्रमशः अप्रैल 1916 और सितंबर 1916 में अलग-अलग ‘होमरूल लीग’ की स्थापना की। यह आंदोलन देशभर में बहुत लोकप्रिय भी हुआ। परंतु, 1919 तक आते-आते यह आंदोलन काफी कमजोर और धीमा पड़ गया था। इस आकस्मिक अवसान के निम्नलिखित कारण रहे-
यद्यपि होमरूल लीग आंदोलन ज्यादा समय तक सक्रिय नहीं रह पाया किंतु इस आंदोलन को उस अल्पकाल में भी अनेक उपलब्धियाँ प्राप्त हुई। यथा-
अतः यह कहा जाना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि अपना सक्रियता के अल्पकाल के बावजूद होमरूल लीग आंदोलन भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा और नया आयाम देने में सफल रहा।