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प्रश्न :
‘‘भारत का विभाजन एक अत्यन्त त्रासदीपूर्ण लेकिन अवश्यंभावी घटना थी जिसका बीजारोपण बहुत पहले हो चुका था। प्रारम्भ से ही कांग्रेस व गांधी द्वारा ऐसे गंभीर कदम नहीं उठाये गये थे जिससे संभावित विभाजन को रोका जा सकता।’’ इस कथन का परीक्षण करें।
14 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
20वीं सदी की अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटना थी भारत की आजादी और उतनी ही त्रासदीपूर्ण घटना थी भारत का विभाजन, जिसे अंग्रेज लेखक ‘कोलिंस’ और फ्रेंच लेखक ‘लेपियरे’ ने अपनी पुस्तक ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में ‘इतिहास का सबसे जटिल तलाक’ कहा है।
भारत के विभाजन के संबंध में अनेक विद्वानों का मत है कि इसे टालने के लिये कांग्रेस एवं गांधी जी ने गंभीर प्रयास नहीं किये। ये विद्वान अपने कथनों की पुष्टि के लिये निम्नलिखित तर्क देते हैं-
- कांग्रेस ने 1909 के पृथक निर्वाचन मंडल प्रणाली का उस प्रकार से विरोध नहीं किया जिस प्रकार से 1905 के बंगाल विभाजन एवं 1932 के दलित पृथक निर्वाचन प्रणाली का किया।
- कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को ब्रिटिश सत्ता के करीब जाने से रोकने के पर्याप्त प्रयास नहीं किये।
- नेहरू और पटेल जैसे कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने विभाजन को स्वीकार कर लिया क्योंकि सत्ता की प्रतीक्षा उनके लिये असहनीय थी।
किंतु, उपर्युक्त तर्क एक आयामी है क्योंकि इनमें तात्कालिक परिस्थितियों को नजरअंदाज किया गया है। गांधी जी एवं कांग्रेस ने विभाजन रोकने के अनेक गंभीर प्रयास किये जिनके उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- 1916 में कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता कर हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया। यही कार्य खिलाफत आंदोलन के माध्यम से गांधी जी द्वारा किया गया।
- 1928 की नेहरू रिपोर्ट में पृथक निर्वाचन मंडल को अस्वीकार कर संयुक्त निर्वाचन की बात की गई थी।
- कांग्रेस ने द्विराष्ट्र सिद्धांत को कभी स्वीकार नहीं किया। गांधी जी ने सदैव विभाजन का विरोध किया एवं कहा कि "विभाजन मेरी लाश पर होगा।" इसके अलावा, कांग्रेस एवं गांधी जी ने ब्रिटिश सत्ता के ऐसे सभी कदमों का पुरजोर विरोध किया जो भारत को विभाजन की दिशा में ले जाते हों।
निष्कर्षः इस प्रकार, यद्यपि कांग्रेस एवं गांधी जी ने विभाजन को टालने के अनेक गंभीर प्रयास किये लेकिन ब्रिटिश की ‘फूट डालो राज्य करो’ नीति एवं जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत के कारण अंततः भारत का विभाजन हुआ।
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