1929 ई. की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के पश्चात् अमेरिकी प्रशासन को अहस्तक्षेपवादी से सामाजिक सेवा या कल्याणमूलक राज्य में परिणत करना राष्ट्रपति रूजवेल्ट की ‘न्यू डील’ नीति की सबसे बड़ी देन थी। चर्चा कीजिये।
उत्तर :
1929 ई. में आई विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से सारे पूंजीवादी अर्थजगत में भूचाल आ गया था। 1932 ई. तक अमेरिका की राष्ट्रीय आय में काफी गिरावट आ चुकी थी और लगभग डेढ़ से पौने दो करोड़ तक लोग आजीविकाहीन हो चुके थे। पूरे अमेरिका में निराशा का माहौल था। किंतु, राष्ट्रपति हर्बर्ट हूवर पूंजीवादी अमेरिकी व्यवस्था के ‘उन्मुक्त आर्थिक जीवन (Laissez faire)’ में सरकारी हस्तक्षेप के पक्ष में बिलकुल न थे।
ऐसे में जब 1932 में अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव हुआ, तब लाखों-लाख आजीविकाविहीन कामगारों, आर्थिक तंगी से परेशान शहरी निम्न मध्यवित्तवर्ग के लोग तथा विपन्न काश्तकारों ने डेमोक्रेट उम्मीदवार फ्रैंकलिन रूजवेल्ट के पक्ष में भारी मतदान कर उसे विजयी बनाया। रूजवेल्ट ने तत्काल बेकारों को राहत पहुँचाने तथा अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के लिये कई साहसिकतापूर्ण कार्यवाहियाँ की व अमेरिकी कांग्रेस (संसद) द्वारा कई कानून पारित कराये। उनकी इन सभी कार्रवाईयों को ‘न्यू डील’ (New Deal) कहा जाता है।
रूजवेल्ट प्रशासन द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम (न्यू डील):
- आजीविकाहीन लोगों को राहत के तौर पर वित्तीय सहायता की व्यवस्था की गई तथा सरकार की ओर से अनेक प्रकार के निर्माण-कार्य शुरू करके बेकारों के लिये काम मुहैय्या कराया गया।
- मुद्रा संकट रोकने के लिये बैंकों को कुछ काल के लिये बंद कर दिया गया। बाद में जब खोलने की अनुमति दी गई तो उनके कठोर अधीक्षण की व्यवस्था की गई। मुद्रा का अवमूल्यन किया गया ताकि अमेरिकी कृषि-उत्पादकों को विदेशी बाजारों में प्रतियोगिता करने में सहायता मिले।
- ऐसे कदम उठाए जिससे कृषि तथा उससे संबंद्ध कार्यों में लगभग तीस लाख नौजवानों को काम में लाया जा सके।
- औद्योगिक क्षेत्र में मंदी से निबटने के लिये ‘नेशनल रिकवरी ऐडमिनिस्ट्रेशन’ की स्थापना की गई। इसके द्वारा व्यवसायिक संस्थानों को स्वस्थ प्रतियोगिता हेतु स्वतः ‘आचरण संहिता’ बनाने तथा उस पर अमल करने एवं उत्पादन की मात्रा तथा मूल्य निर्धारण के लिये प्रोत्साहित किया गया।
- शेयर बाजार को नियंत्रित करने के लिये ‘सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन’ की स्थापना की जिससे अत्यधिक तथा गैर-जिम्मेवार सट्टेबाजी को रोका जा सके।
- बैंकों में जमा की गई राशियों को संघ सरकार की ओर से भुगतान की गारंटी की गई। इसके फलस्वरूप जमाकर्त्ता के जीवनभर की कमाई खो देने का खतरा दूर हुआ।
- 1935 ई. में एक व्यापक ‘नेशनल सिक्युरिटी ऐक्ट’ पारित करके बेकारी, वृद्धावस्था, बीमारी या विकलांगता होने की स्थिति में राहत और पुनर्वास की व्यवस्था को अधिक कारगर किया गया।
- ‘फेयर लेबर स्टैण्डर्ड ऐक्ट’ तथा ‘नेशनल लेबर रिलेशंस ऐक्ट’ पारित कर श्रमिकों के हितों में बड़े परिवर्तन किये व बच्चों को काम में लगाये जाने पर रोक लगा दी गई। श्रमिकों को अपना संघ बनाने तथा उसके माध्यम से संघर्ष करने का अधिकार मिला।
- झुग्गी-झोपड़ियों की सफाई एवं कम लागत पर गृह-निर्माण आदि के कार्यक्रम चलाकर लोगों के लिये पर्याप्त आवास की व्यवस्था की गई।
- सुधारों के इस दौर में आयकर, कंपनियों के मुनाफे पर कर तथा अधिकर आदि की नई दरें लागू की गई तथा इस बात की कठोर व्यवस्था की गई कि कोई बच न सके।
इस प्रकार ‘न्यू डील’ से एक नए मौलिक सिद्धांत को मान्यता मिली कि आम लोगों के सामाजिक तथा आर्थिक हितों के प्रति सरकारी व्यवस्था का पूरा दायित्व है। अमेरिकी गणराज्य तथा उसकी अर्थव्यवस्था में शायद सबसे बड़े संकट का सामना करने का यह एक साहसपूर्ण तथा मानवतावादी तरीका था जिसने अमेरिका को कल्याणमूलक राज्य में परिणत किया तथा जिसके फलस्वरूप जनता में लोकतंत्रीय व्यवस्था के प्रति पुनर्विश्वास पैदा हुआ।