मानवीय अतिक्रमण तथा विभिन्न प्राकृतिक कारकों के कारण वनों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। वनों में लगी आग उस क्षेत्र विशेष की परिस्थितिकी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी व्यापक स्तर पर क्षति पहुँचाती है। समालोचनात्मक मूल्यांकन करें।
04 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलकुछ वर्षों से वनों में आग लगने की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में इन घटनाओं की आवृत्ति एवं तीव्रता बढ़ी है। ऐसा नहीं है कि पहले वनों में आग नहीं लगती थी, ऐसी घटनाएँ सदियों पहले भी होती रही हैं परंतु तब उनका कारण अधिकांशतः प्राकृतिक कारक ही थे, यथा- बिजली गिरना, पेड़ की सूखी पत्तियों के मध्य घर्षण, तापमान की अधिकता, पेड़-पौधों में शुष्कता आदि। परंतु, वर्तमान में वनों में अतिशय मानवीय अतिक्रमण/हस्तक्षेप ने वनों में लगने वाली आग की बारम्बारता को बढ़ाया है। विभिन्न प्रकार के मानवीय क्रियाकलायों यथा- पशुचारण, झूम खेती, बिजली की तारों का वनों से होकर गुजरना तथा वनों में लोगों का धुम्रपान करना आदि, से ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है।
वनों में आग लगने से पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले प्रभावः
वनों में आग लगने से क्षेत्र विशेष की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावः
निश्चित तौर पर वनों में लगी आग से उन क्षेत्र विशेषों का भौगोलिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिवेश व्यापक स्तर पर प्रभावित होता है। अतः इन घटनाओं को न्यूनतम किये जाने के गंभीर प्रयास किये जाने चाहियें। आपदा प्रबंधन के समुचित उपायों के साथ-साथ ‘आग के प्रति संवेदनशील वन क्षेत्र एवं मौसम’ में वनों में मानवीय क्रियाकलापों को बंद या न्यूनतम किया जाना चाहिये तथा संवेदनशील क्षेत्रों में आधुनिकतम तकनीकों से युक्त संसाधनों के साथ पर्याप्त आपदा प्रबंधन बल की तैनाती रहनी चाहिये।