"भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीतिक जमीन पर ब्रिटिश आधिपत्य की इमारत स्थापित करने की प्रक्रिया के क्रम में ‘नींव का पत्थर’ रॉबर्ट क्लाइव ने रखा।" व्याख्या करें।
06 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासआरंभ में ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में अपने व्यापारिक हितों की सुरक्षा एवं अधिकतम लाभ प्राप्ति के उद्देश्य हेतु विभिन्न शहरों में स्वयं को अन्य यूरोपीय व्यापारिक शक्तियों के बनस्त मजबूत करने में लगी रही। किंतु, प्लासी के युद्ध, तृतीय कर्नाटक युद्ध और बक्सर युद्ध के पश्चात् यह अंग्रेजी कंपनी भारतीय उपमहाद्वीप विशेषकर उत्तरी भारत की सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरी। कालान्तर में आंग्ल-मराठा, आंग्ल-सिख व आंग्ल-मैसूर युद्धों को जीतकर अंग्रेजों ने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकतर भू-भाग पर अपना आधिपत्य स्थापित किया। परंतु, भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश आधिपत्य की नींव ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी रॉबर्ट क्लाइव ने रखी थी।
रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इंडिया कंपनी में एक क्लर्क के तौर पर भर्ती हुआ था, किंतु अपनी असाधारण नेतृत्व क्षमता एवं कौशल के दम पर बंगाल के गवर्नर के पद तक पहुँचा। रॉबर्ट क्लाइव ने अपनी कूटनीति एवं सैन्य-संचालन की पद्धतियों द्वारा अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना का पथ-प्रदर्शन किया।
द्वितीय कर्नाटक युद्ध के दौरान 1751 ई. में ‘अर्काट की घेराबंदी’ क्लाइव की वह कुशल चाल थी जिसके कारण कर्नाटक युद्ध का पासा पलट गया था। इसके लिये क्लाइव की यूरोप में भी धाक जम गई थी। कंपनी के संचालन मंडल ने इसके बाद क्लाइव में अत्यधिक विश्वास जताया। 1757 ई. में ‘प्लासी के युद्ध’ में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराने के लिये क्लाइव ने षडयंत्र रचा और सफलता भी पाई। उसने नवाब के सेनापति मीर जाफर और अमीर व्यापारियों को युद्ध से पहले ही गुप्त समझौतों द्वारा अपनी ओर करके कंपनी को जीत दिलाई।
प्लासी में अंग्रेजी विजय ने बंगाल में अंग्रेजों की श्रेष्ठता स्थापित कर दी, जिसके परिणामस्वरूप ‘प्लासी के युद्ध’ को भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की संस्थापक घटना के रूप में पहचान मिली। प्लासी के युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों को बंगाल की अकूत संपदा प्राप्त हुई, जिसके कारण वांडीवाश युद्ध के लिये अंग्रेजों को अत्यधिक आर्थिक सहायता उपलब्ध रही और वे फ्राँसीसी कंपनी के विरूद्ध युद्ध जीतने में सफल रहे। इस युद्ध के पश्चात ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में निर्विवाद रूप से सबसे शक्तिशाली यूरोपीय शक्ति के रूप में स्थापित हुई।
इस प्रकार, यह कहना कि भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीतिक जमीन पर आधिपत्य की इमारत स्थापित करने की प्रक्रिया के क्रम में नींव का पत्थर रॉबर्ट क्लाइव ने रखा, कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा।