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प्रश्न :
17वीं और 18वीं शताब्दी के वैज्ञानिक अनुसंधानों से आई बौद्धिक क्रान्ति ने तकनीकी विकास द्वारा औद्योगिक क्रान्ति की आधारशिला रखी और उसे अनन्त विकास की ओर ले गई। चर्चा कीजिये।
09 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
1750 ई. से 1850 ई. के बीच वैज्ञानिक अनुसंधान के हर क्षेत्र में शोध हुए। गणित, रसायन, भौतिकी, जीवविज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधानों ने सिद्ध कर दिया कि विभिन्न क्षेत्रों में हुए अनुसंधानों का ‘प्रयोग’ एक-दूसरे से संबंधित भी है। जो ज्ञान अब तक अलग-अलग माना जाता था, वह अंतर्संबंध प्रकट करने लगा। इन अंतर्संबंधों के आधार/धरातल पर वैज्ञानिक आविष्कार होने लगे। ये आविष्कार विभिन्न ज्ञान के क्षेत्रों के मध्य सामञ्जस्य एवं समन्वय की ही अभिव्यक्ति थे।
न्यूटन ने गति को परिमाण से जोड़ा और बताया कि सभी भौतिक वस्तुओं की गति ही इस ब्रह्माण्ड की जटिल कार्यपद्धति को निर्धारित करती है। महान रसायनशास्त्री लैवोसियर ने प्राकृतिक ढाँचे के अन्दर तात्त्विक रासायनिक पैटर्न को ढूँढ निकाला। लैमॉर्क ने वनस्पति विज्ञान और जीव विज्ञान से प्राप्त विशाल आँकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया था कि विकास की लंबी और धीमी प्रक्रिया के दौरान जीव का रूप बदलता रहा है और सभी जीवित प्राणियों में कुछ विकासमूलक अन्तर्संबंध है।
लैवोसियर ने 1793 ई. में कहा कि विज्ञान और तकनीकी की सभी शाखाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हैं और सभी वैज्ञानिक समान उद्देश्य से कार्य करते हैं। उनके अनुसार ज्ञान के सभी रूप एक महान दीवारदरी के विभिन्न समान हैं, जिससे हमें अन्ततः एक पैटर्न और डिजाइन की प्राप्ति होगी क्योंकि सारे ज्ञान में अन्ततः एकत्त्व है। इस आशावादी उद्घोषणा से प्रेरित हो वैज्ञानिक अधिक निडर और दुस्साहसी होकर असंलग्न तथ्यों के बीच संबंध बनाकर सामान्य अनुमान निकालने लगे।
भौतिकी और रसायन के सिद्धान्तों को जोड़कर आणविक परिमाण, थर्मोडॉयनामिक्स और गैस के काइनेटिक सिद्धान्त का अध्ययन शुरू किया गया। वाष्प-शक्ति से वाष्प इंजन, फ्लांइग शट्ल, स्पिनिंग जेनी, पावरलूम आदि के ‘आविष्कारों’ से औद्योगिक-क्रान्ति की शुरुआत हुई जो नित नये-नये आविष्कारों के सहयोग से उत्तरोतर अनन्त विकास की ओर अग्रसर होती रही। इस प्रकार, बौद्धिक क्रान्ति तकनीकी क्रान्ति लाई, जिसने औद्योगिक क्रान्ति को जन्म दिया और निरन्तर पोषित किया।
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