भारत में नगरीय अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन न केवल नगरीय अपशिष्ट प्रबंधन में सहायक है बल्कि भारत में बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति की दिशा में एक नवोन्मेषी कदम सिद्ध हो सकता है। नगरीय अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन की आर्थिक व्यवहार्यता का मूल्यांकन करें।
17 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
उत्तर की रूपरेखा
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भारत में बढ़ते नगरीकरण के परिणामस्वरूप नगरीय अपशिष्ट की मात्रा में लगातार वृद्धि हो रही है। दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 2,000 टन नगरपालिका ठोस अपशिष्ट पैदा होता है जिससे 16 मेगावाट विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। गैसीकरण, भस्मीकरण, ताप-अपघटन आदि तापीय प्रौद्योगिकी प्रक्रियाओं द्वारा इन अपशिष्टों से ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
नगरीय अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन की आर्थिक व्यवहार्यता
इस प्रकार की प्रौद्योगिकियों से ऊर्जा उत्पादन की लागत ग्रिड से अधिक होती है, अतः इनमें पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है तथा सरकार को इन्हें कार्यान्वित करने के लिये सब्सिडी प्रदान करनी पड़ती है। किंतु, इसमें किया जाने वाला निवेश संधारणीय एवं लाभदायक होता है क्योंकि अपशिष्ट की प्राप्ति स्थानीय स्तर पर हो जाती है एवं परिवहन लागत की बचत होती है। दूसरी तरफ, अपशिष्टों के भूमि-भराव (land fill) जो कि काफी हानिकारक और गैर उत्पादक होता है, से निजात मिलती है। इस क्षेत्र में ‘सार्वजनिक-निजी निवेश’ (PPP) के माध्यम से निवेश किया जा सकता है जो शहर को साफ एवं स्वच्छ रखने में सहायक होगा।
यद्यपि भारत में 2010 में संसद के एक अधिनियम द्वारा एक स्वतंत्र निकाय के रूप में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की स्थापना की गई जो पर्यावरण प्रबंधन के लिये नियमों को स्थापित कर रहा है तथा कानूनों के माध्यम से अपने फैसलों का प्रवर्तन करवाता है। अब आवश्यकता है कि NGT को ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (CPCB) से अपशिष्ट द्वारा ऊर्जा उत्पादन के लिये प्रयुक्त सयंत्रों के पर्यावरणीय प्रभाव के वैज्ञानिक मूल्यांकन के लिये सहायता लेनी चाहिये।
लेकिन, यहाँ पर यह समझना आवश्यक है कि अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन बिजली पैदा करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका नहीं है। बल्कि इसका सर्वप्रमुख उद्देश्य नगरीय ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन है। इस प्रकार, जहाँ शहरों में भूमि की कमी है वहाँ अपशिष्ट का उपयोग भूमि-भराव की बजाय ऊर्जा उत्पादन के लिये करना न केवल अपशिष्ट के वैज्ञानिक निपटान में सहायक है बल्कि ऊर्जा उत्पादन इसका एक उपोत्पाद भी है जो पर्यावरण को स्वच्छ रखने एवं ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में उपयोगी हो सकता है।