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प्रश्न :
कांग्रेस द्वारा संगठन में पूर्ण सहमति के अभाव के बावजूद गांधी जी के खिलाफत आंदोलन को समर्थन देने व सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन आरम्भ करने के निर्णय को समर्थन देने की पीछे क्या कारण थे?
11 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
नवम्बर, 1919 में खिलाफत का अखिल भारतीय सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किया गया। गांधी जी अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी के अध्यक्ष थे। उन्होंने उस मुद्दे को भारतीयों के मध्य एकता स्थापित करने एवं सरकार के विरूद्ध सत्याग्रह व असहयोग आंदोलन घोषित करने के एक उपयुक्त मंच के रूप में देखा। खिलाफत आंदोलन की सफलता के लिये कांग्रेस का सहयोग बहुत आवश्यक था किंतु कांग्रेस में इस मुद्दे पर सर्वसम्मति का अभाव था। तिलक ने धार्मिक मुद्दों पर मुस्लिम नेताओं के साथ संधि करने का विरोध किया। तिलक तो ‘सत्याग्रह’ को राजनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग किये जाने के प्रति भी आशंकित थे परंतु गांधी जी ने अपने अथक प्रयासों से उनकी शंकाओं को दूर किया। कुछ अन्य राज्यों में भी गांधी जी के असहयोग आंदोलन का विरोध किया गया परंतु गांधी जी अपने राजनीतिक कार्यक्रम के प्रति अडिग रहे। कांग्रेस ने जिन कारणों से गांधी जी को उनके कार्यक्रम हेतु समर्थन व स्वीकृति दे दी, वे कारण निम्नलिखित थे-
- यह महसूस किया गया कि हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित करने तथा मुस्लिम को राष्ट्रीय आंदोलन की मुख्यधारा में लाने का यह स्वर्णिम अवसर है। इसका लाभ यह हुआ कि अब समाज के विभिन्न वर्ग- हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई, किसान, शिल्पकार पूंजीपति, महिलाएँ, जनजातियाँ, युवा व विद्यार्थी आदि सभी ने विदेशी शासन की उपस्थिति को महसूस किया और अपनी दुर्दशा के लिये उसे उत्तरदायी मानते हुए अपने अधिकारों के लिये संघर्ष की प्रेरणा ली।
- संवैधानिक तरीके से संघर्ष जारी रखने पर कांग्रेस का विश्वास धीरे-धीरे कम होता जा रहा था। विशेष तौर पंजाब की घटनाओं के संबंध में हंटर आयोग की भेदभावपूर्ण व दमनकारी सिफारिशों से सरकार के प्रति इसका मोहभंग हो गया था।
- कांग्रेस इस बात से भलीभांति परिचित थी कि देश की जनता अपने असंतोष की अभिव्यक्ति के लिये उचित अवसर की तलाश में थी।
इन विभिन्न महत्त्वपूर्ण कारणों के चलते संगठन में पूर्ण सहमति के अभाव के बावजूद कांग्रेस के रूख में लचीलापन आया और उसने गांधी जी के राजनीतिक कार्यक्रम को स्वीकृति व समर्थन दिया।
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