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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    20वीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में उभरे ‘गरमदल’ ने अपनी गतिविधियों से राष्ट्रवादी आंदोलन को ऊर्जा, गतिशीलता तथा नई दिशा दी। विवेचना कीजिये।

    27 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    20वीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस में उभरा ‘गरमदल’ अपने तेवरों में पुराने नेताओं के आदर्शों एवं संघर्ष के तरीकों (याचना, पत्र-व्यवहार आदि) का कड़ा आलोचक था। इन गरम मिछााज के लोगों का  ध्येय ‘स्वराज्य’ था जिसे वे आत्म-निर्भरता और आत्मविश्वास के माध्यम से प्राप्त करना चाहते थे।

    हालाँकि इन राष्ट्रवादियों का कोई सुसंगठित राजनीतिक दर्शन नहीं था। इसके प्रमुख नेताओं- अरविन्द घोष, बाल गंगाधर तिलक, विपिनचन्द्र पाल और लाला लाजपतराय के राजनीतिक आदर्शों एवं कार्य-प्रणाली में भी भिन्नता थी, जैसे-तिलक का स्वराज्य एक प्रकार का ‘स्वशासन’ था परंतु अरविंद का स्वराज्य अंग्रेजों के नियंत्रण से पूर्णतया स्वतंत्रता थी। यही नहीं, इनमें कुछ नेताओं के विचार भी समय के अनुसार बदलते रहे, जैसे- प्रारंभ से ही सरकार के घोर विरोधी रहे तिलक अंतिम दौर में सरकार से सहयोग करने में सहमत हो गए थे।

    परंतु, गरमदल के सभी सदस्य प्रजातंत्र, संविधान और स्वदेशी की बात करते थे तथा राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक आधार को लगातार बढ़ाना चाहते थे। इन लोगों ने अनेक समाचार पत्र निकाले और अपना संदेश समाज के एक बड़े वर्ग तक पहुँचाया। इन लोगों कि यह पक्की धारणा थी कि अंग्रेज बिना किसी प्रत्यक्ष क्रिया (Direct action) और दबाव के भारत नहीं छोड़ेगें। इसीलिये इन्होंने लोगों को असहयोग, प्रतिरोध, सामूहिक आंदोलन, सामाजिक बहिष्कार, आत्मनिर्भरता, स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग, दुख सहने की शक्ति जैसे उपकरणों को अपनाने के लिये प्रेरित किया। वे यह भी चाहते थे कि भारत के प्रशासन में भारतीय की भागीदारी अधिकतम हो तथा सरकारी शोषण खत्म हो।

    गरमदल की नीतियों एवं गतिविधियों की सबसे बड़ी सफलता 1911 में बंगाल विभाजन का रद्द होना था। इससे राष्ट्रवादियों एवं क्रांतिकारियों में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार हुआ। इनकी कार्यशैली और विचारधारा ने युवाओं को भी गहरे तक प्रभावित किया तथा उन्हें क्रांतिकारी गतिविधियों के जरिये संघर्ष करने के लिये प्रेरित किया।

    अतः यह कहना उचित ही है कि गरमदल के उदय ने राष्ट्रवादी आंदोलन को ऊर्जा, गतिशीलता तथा नई दिशा प्रदान की।

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