उन परिस्थितियों/घटनाओं का उल्लेख कीजिये जिनके कारण अंग्रेज़ों को भारत छोड़ना अपरिहार्य प्रतीत होने लगा था?
02 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासद्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति तक भारत में ऐसे हालात उभर चुके थे जिनसे ब्रिटिश सरकार को प्रतीत होने लगा था कि अब भारत पर और अधिक दिनों तक ज़बरदस्ती शासन नहीं किया जा सकेगा। उस समय तक सरकार विरोधी संघर्ष में राष्ट्रवादियों की सफलता एक निर्णायक मोड़ तक पहुँच चुकी थी।राष्ट्रवाद,अब समाज के हर वर्ग और देश के हर कोने तक फैल चुका था। भारतीय सिविल सेवाओं में भारतीय प्रतिनिधित्व काफी बढ़ चुका था या यूँ कहें कि सिविल सेवाओं का काफी हद तक भारतीयकरण हो चुका था जिसके चलते यूरोपियों में इन सेवाओं के प्रति रुचि कम हो गई थी ।
कांग्रेस राज ने भारतीयों में आत्मविश्वास को बढ़ाया और उनमें राष्ट्रवाद की भावना को मज़बूत किया। अब भारतीय अंग्रेज़ों को किसी भी कीमत पर वापस भेजने के लिये उतारू थे। फिर ,आज़ाद हिन्द फ़ौज के युद्धबंदियों के समर्थन में जिस तरह पूरे भारत ने एकता का परिचय दिया उससे अंग्रेज़ सरकार सकते में आ गई । उसके बाद रॉयल इंडियन नेवी के नाविकों के विद्रोह से तो सरकार के समक्ष यह बात स्पष्ट हो गई कि अब वह सेना पर भी पूर्ण भरोसा नहीं कर सकती। उसने महसूस किया कि अब यदि कांग्रेस ने कोई आन्दोलन किया तो प्रांतीय सरकारें भी उनका खुलकर समर्थन करेंगी।
उन परिस्थितियों में भारतीयों के पूर्ण दमन का एक ही उपाय था – आपातकाल /अंतरिम शासन व्यवस्था,लेकिन अब यह व्यवस्था भी असंभव प्रतीत होने लगी थी क्यूंकि अब सरकार के पास पर्याप्त संख्या में वफादार व दक्ष नौकरशाही नहीं थी। ब्रिटेन में भी सरकार व उच्च नीति नियामक यह महसूस करने लगे थे कि अंग्रेजों की सम्मानजनक वापसी का एकमात्र उपाय अब यही है कि भारतीयों को शांतिपूर्वक सत्ता सौंपकर वापसी की जाए।
इसीलिये फरवरी 1946 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने भारत में केबिनेट मिशन भेजने की घोषणा की। इस मिशन को विशिष्ट अधिकार दिये गए थे तथा इस मिशन का कार्य भारत को शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के उपायों एवं संभावनाओं को खोजना था।