स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान समाचार पत्र (अख़बार) लोगों को सिर्फ राजनीतिक रूप से शिक्षित ही नहीं कर रहे थे, बल्कि वह उन्हें सामूहिक भागीदारी भी सिखा रहे थे। चर्चा करें।
22 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
उत्तर की रूपरेखा :
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समाचार पत्र केवल समाचार उपलब्ध करवाने वाले दस्तावेज़ ही नहीं होते, बल्कि ये सामाजिक संपर्क स्थापित करके समाज के प्रत्येक वर्ग को एक सामूहिक भागीदारी भी सिखाते हैं। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी सामाचार पत्रों की यही भूमिका रही।
भारत का प्रथम समाचार पत्र ‘बंगाल गजट’ माना जाता है जिसके द्वारा जेम्स अगस्ट हिक्की ने कंपनी शासन की कुरीतियों को उजागर करने का प्रयास किया था। किंतु राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण इसे बंद करना पड़ा। कालांतर में ‘बंगाल क्रॉनिकल’, पायोनियर, इण्डियन मिरर, वाम बोधिनी, मिरातुल अखबार, इंडिपेंडेंट, केसरी, मराठा, यंग इंडिया, कामरेड, हमदर्द, इंडियन स्ट्रगल आदि अनेक समाचार पत्रों ने भारतीयों में राजनीतिक चेतना जगाने के साथ ही उन्हें विभिन्न सामाजिक विचारों का आदान-प्रदान करने का मंच या साधन भी प्रदान किया।
‘वाम बोधिनी’ में केशव चन्द्र सेन ने समाज में व्याप्त कुरीतियों पर तो कुठाराघात किया ही, विभिन्न राजनीतिक विचारों के प्रसार से भारतीय जनता में राजनीतिक चेतना भी जगाई। केसरी और मराठा के माध्यम से बाल गंगाधर तिलक ने राष्ट्रवाद की सामूहिक चेतना को प्रज्ज्वलित किया। जहाँ कॉमन वील और न्यू इंडिया में एनी बेसेंट ने भारतीयों में प्राचीन परंपरा के माध्यम से राजनीतिक प्रसार किया तो वहीं यंग इंडिया और हरिजन के द्वारा महात्मा गांधी दलितों के उत्थान के लिये प्रयास कर रहे थे।
‘इंडिया फॉर इंडियंस’ में चितरंजन दास भारतीयों से यह आवाहन करते हैं कि 30 करोड़ भारतीय अपने 60 करोड़ हाथ उठा लें तो ब्रिटिश शासन को भारत से उखाड़ फेंकना बहुत आसान होगा। ‘इंडियन स्ट्रगल’ में सुभाष चंद्र बोस भारतीयों से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का आवाहन करते हैं।
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में समाचार पत्रों ने न केवल राजनीतिक चेतना को जगाया बल्कि भारतीयों की सामूहिक भागीदारी को सुनिश्चित करके उन्हें स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्ध भी बनाया।